-भारी पड़ सकती है चौकीदारों को दी गई ढील
बक्सर खबर। शराब पर लगी पाबंदी सफल नहीं हो रही। क्योंकि इस धंधे में अनेक लोग शामिल हैं। जिसका परिणाम है हर गांव में शराब बिक रही है। इस पर नकेल कसने के लिए चौकीदारों को जवाबदेह बनाया गया था। बावजूद इसके गांवों में शराब बेचने वाले अपना धंधा कर रहे हैं। इसमें कहीं न कहीं चौकीदारों भी दोषी हैं। क्योंकि उनकी चुप्पी अथवा मिली भगत। किसी से छिपी नहीं है। नीचले स्तर पर कार्रवाई नहीं होने का परिणाम है कि इस कारोबार पर प्रभावी ढंग से अंकुश नहीं लग पा रहा है। कुछ दिनों पहले नगर कोतवाल राहुल कुमार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था। उनको जानने वाले बताते हैं। साफ-सुथरी छवि होने के बाद भी शहर में शराब बिकने के कारण उनको हटाया गया।
ऐसा दूसरे थानेदारों के साथ भी हो सकता है। क्योंकि इसकी निगरानी के लिए स्वयं पुलिस विभाग ने भी एक सेल का गठन कर रखा है। वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया के दौर में बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं। जिसको आधार बनाकर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। ऐसे में यह जरुरी है कि निचले स्तर तक लोगों को जवाबदेह बनाया जाए। अन्यथा चौकीदारों को दी गई ढ़ील उपर के लोगों के लिए भी खतरा बन सकती है। उदाहरण के तौर पर चर्चा करें तो उन गांवों का भी बूरा हाल है। जहां थाने स्थित हैं। जैसे राजपुर गांव, चौसा गांव। मुख्यालय होने के बाद भी शराब का बिकना जारी है। राजपुर का एक और गांव है सरेंजा। वहां भी आए दिन शराब पीने और बेचने वाले खुलेआम दिखते हैं। इनके खिलाफ कारगर कार्रवाई जरुरी है।
बक्सर जिला कुरान सराय गांव में। बहुत शराब। हां।