बक्सर खबर। महिनों बाद आज सुबह-सुबह बतकुच्चन गुरू से मुलाकात हुई। तरोताजा दिख रहे थे। मिलते ही बोले, का हाल हौ तोहरे शहर के। हमने कहा सब अमन-चैन है। लोग अपने काम व्यस्त हैं। सामने होली है। बहुत से लोग अपने गांव लौटने लगे हैं। गांव शब्द कहते ही वे मेरी तरफ घूर कर देखने लगे। तुरंत सवाल दागा। गांव जाते हो। मैं जवाब देने की सोच रहा था। लेकिन, फिर वे शुरू हुए तो खामोश होने वाले कहा थे। बोले जा रहे थे। हमहू गांव गए थे। गांव-जवार के मनई सब से मिले। जे बतावे रहे कि नल-जल योजना चल रही है गांव में। वडवा में जौन जीते रहे। वही मिला काम करावे हैं। जौन गली सब पहीले से बनी रही। ओकर सत्यानाश कर दिए हैं सब। रहिया के काट के सब खंडे खंड कर दिए हैं।
एक वडवा के गांव के लोग पकड़े रहे। बातन से ओकरा छोल रहे थे। उ ससुर मुंह लटका के कह रहा था। का करें, हम लोग कमीशन से परेशान हैं। मुखिया बगैर रुपया लिए फंड खाता में नहीं भेजे हैं। ले दे के काम शुरू हुआ। ए बीच में नया खेल चालू कर दिया। कवनो कड़क अफसर आया है। जेकरा डरे सब गांव-गांव दौड़ रहा है। कहता है, काम अच्छा होवे चाही। अरे सौ में तीस रुपया तो पहले ले लिए हैं। अब कहते हैं काम अच्छा होवे चाही। समझ में न आ रहा है। काम करावें की मजूरी दें। ऐही में चार हजार रुपया और मांग रहा है। कहता है साहेब लोग जांच करे आ रहे हैं। खर्चा नहीं होगा तो उल्टा-पुल्टा लिख देंगे। मुखिया सब साहेब के नाम चंदा मांग रहा है। नया धंधा शुरू हो गया है। पहले जो लिया सो लिया अब फिर मांग रहा है। का करें बुझा नहीं रहा है। इतना सब कुछ कहने के बाद बतकुच्चन गुरू ने मेरी तरफ देखा। हम तो गांव गए थे, साफ-सुथरी हवा में सांस लेने। उहां भी भ्रष्टाचारी सब नरक किया है। उनकी बातें सुन मैंने हां में सर हिलाया। और चलने की अनुमति मांगी। वे बोले जाओ गुरू हम तोहे काहे रोकेंगे। लेकिन, जो मुखिया मदारी कर रहा है। इ का विरोध होवे चाही। (माउथ मीडिया-बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है, जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट अथवा मेल के माध्यम से भेज सकते हैं। इमेल -buxarkhabar@gmail.com )