वाह रे पुलिस : पांच सौ की जगह हजार फाइन, फिर भी रशीद खाली

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-दवा लेने जा रहे बुजुर्ग व्यक्ति के साथ कुछ ऐसा हुआ न्याय
बक्सर खबर। बीमार व्यक्ति दवा लेने बक्सर से सासाराम जा रहे थे। इस सफर में कुछ पुलिस वाले ऐसे मिले। जिन्होंने उनकी मजबूरी को समझा और गैर जिले में जाने दिया। लेकिन, कुछ ऐसे पुलिस वाले भी मिले। जिन्होंने पांच सौ की बजाय दो हजार रुपये वसूल लिए। वे अपनी मजबूरी सुनाते रहे। लेकिन, राजपुर थाना के दैतरवा मोड पर किसी ने उनकी नहीं सूनी। चलान काटकर हाथ में थमा दिया। पीडि़त का नाम जटाशंकर है। उनके पास गाड़ी के पेपर थे, हेलमेट भी था। लेकिन, वाहन चलाने का लाइसेंस नहीं था। जिसे वह स्वयं स्वीकार कर रहे हैं। मीडिया को उन्होंने बताया।

दो मर्तबा मैं लाइसेंस बनवाने गया। साठ वर्ष की आयु हो गई है। यह फिनेटस वह पेपर कह कर लौटा दिया गया। मैंने पुलिस वालों को अपनी मजबूरी बतायी। आयुर्वेदिक दवा लेता हूं, डाक्टर सासाराम में रहते हैं। लेकिन, किसी ने नहीं सूनी। जब मैं सासाराम पहुंचा तो डाक्टर से अपनी पीड़ा कही। दवा थोड़ी कम दीजिए, रास्ते में पुलिस ने रुपये ले लिए। उन्होंने दया दिखाई और पूरी दवा दी। लेकिन, देखने के लिए चालान मांगा। उन्हें दिया तो कहने लगे, इस पर जुर्माने की रकम नहीं लिखी है। शायद आपको बेवकूफ बनाया उन लोगों ने। यह सुनकर मैंने अपने आप को ठगा महसूस किया। क्या ऐसे पदाधिकारी भी हैं समाज में।

उनकी इस दर्द भरी कहानी का आडियो बक्सर खबर के पास उपलब्ध है। लेकिन, चालान पर जिस धारा 177 का उल्लेख है। उस संबंध में जानने के लिए परिवहन विभाग से संपर्क किया गया। इसमें कितने जुर्माना हो सकता है। विभाग के सूत्रों ने कहा सामान्य धारा है। इसमें पांच सौ रुपये से 1500 तक रुपये का चलान होता है। वैसे आजकल पुलिस धारा 177, 179 व 197 में 7500 सौ रुपये का चलान कर सकती है। अर्थात बाबा के साथ राजपुर की पुलिस ने नरमी ही बरती है। नहीं तो और भी वसूली सकती थी। भले ही उन्हें रशीद सादी ही थमा दी है। पीड़ित मुफस्सिल थाने के मिश्रवलिया गांव के रहने वाले हैं। इनके साथ यह वाकया  29 अप्रैल को राजपुर में हुआ। संबंधित पदाधिकारी से पूछने पर उन्होंने कहा भूलवश ऐसा हो गया है।  ₹1000 उनसे जुर्माना लिया गया था।  उस समय भीड़ ज्यादा थी उसी में यह चूक हो गई।

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