-इसी वजह से भड़क रहा है सेंटरों पर आक्रोश
बक्सर खबर। अपने जिले में आज हर प्रखंड के कोरंटाइन सेंटरों से तरह-तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह प्रवासी मजदूरों की संख्या है। जो अनुमान से ज्यादा पहुंच गई है। 19 मई की रिपोर्ट के अनुसार जिले के 113 सेंटरों पर 18 हजार से अधिक लोग ठहराए गए हैं। ऐसे में अव्यवस्था होना स्वाभाविक है। क्योंकि जहां व्यवस्था नहीं थी। वहां भी लोग पहुंच गए हैं। इस विकट परिस्थिति में व्यवस्था संभाल रहे लोग समस्याएं झेल रहे हैं। बड़े से लेकर छोटा अधिकारी तक परेशान हैं। ऐसे में शासन की स्तर से हो रही घोषणाएं और जवाब देह अधिकारियों की लापरवाही समस्या को बढ़ा रही है। शासन खुद की छवि सुधारने के लिए घोषणाएं कर रहा है। मीडिया में खबर आने के बाद प्रवासी उसकी मांग कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि जमीनी स्तर पर वह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इस वजह से लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ जिन लोगों के उपर इसकी जिम्मेवारी है। वह व्यवस्था पर कुंडली मारे बैठे हैं। इस वजह से समस्या और विकराल हो गई है। मसलन धनसोई में काम करने वाले शिक्षक को राजपुर के अंचल अधिकारी का कार्यालय रुपये के लिए यहां बुलाता है। आने पर पांच हजार रुपये थमाता है। उसके लिए आवेदन लिखवाया जाता है। जैसे शिक्षक को अनुदान दिया जा रहा हो। इसके विपरीत कुछ ऐसे कार्यालय भी हैं। जो समस्या न पैदा हो। उसके लिए स्वयं पहल कर रहे हैं। जैसे चौसा प्रखंड में अंचल प्रशासन स्वयं केन्द्रों तक आवश्यक संसाधन व राशि भेज रहा है। जिससे कम से कम समस्या पैदा हो। इस व्यवस्था की तरफ स्वयं प्रशासन को ध्यान देना होगा। अन्यथा चार दिन में हंगामा खड़ा हुआ है। आने वाले दो चार दिन में विधि व्यवस्था की समस्या भी पैदा हो सकती है। क्योंकि जिले में मुख्यमंत्री का एबीसीडी पहले ही ध्वस्त हो चुका है।