-आदेश के बाद कैदी को न रिहा करने का मामला
बक्सर खबर। जेल अधीक्षक केंद्रीय कारा बक्सर को न्यायालय ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही उन्हें न्यायालय के समझ उपस्थित होने का निर्देश दिया है। न्यायालय सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कारा बक्सर में एक सजायाफ्ता क़ैदी को जेल अवधि के बाद भी कारा में रखा गया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश षष्ठम राकेश मिश्र ने इसी मामले में जेल अधीक्षक केंद्रीय कारा बक्सर को यह आदेश जारी किया है। क्यों नहीं अवैध कारा निरुद्ध के लिये सजायाफ्ता कैदी को एक लाख का मुआवजा देने की मांग स्वीकार कर लि जाए। क्योंकि सजायाफ्ता ने अधिक समय तक जेल में रखने के एवज में मुआवजा मांगा है। विदित हो कि नगर के शांतिनगर मुहल्ले से मादक पदार्थ तस्कर विजय चौधरी को पुलिस ने 18 पुडिय़ा हीरोइन के साथ 17 अप्रैल 2019 को तत्कालीन इंस्पेक्टर अविनाश कुमार के नेतृत्व में गिरफ्तार किया था।
न्यायालय में उसे दोषी करार देते हुए एक वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। अर्थदंड नहीं देने पर दो माह की अतिरिक्त सजा का प्रावधान किया गया था। न्यायालय के आदेश और दण्डादेश के बावजूद सुनाई गई सजा की अवधि भुगतने के बाद सजायाफ्ता कैदी जेल से नहीं छूटा तो न्यायालय से अवैध कारा में रखने के लिये एक लाख रुपए मुआवजा दिलाने की मांग कर दी है। न्यायालय ने कैदी के आवेदन पर तत्काल कारा अधीक्षक से जवाब मांगा है। इस संबंध में पूछने पर जेल अधीक्षक ने कहा। हमसे जवाब मांगा गया है। माननीय न्यायालय के समझ हम उपस्थित होंगे। ऐसा क्या कारण रहा जो उसे छोड़ा नहीं गया। पूछने पर उन्होंने बताया दोषी व्यक्ति के खिलाफ एनडीपीएस की दो धाराओं में अलग-अलग जुर्माना लगाया गया था। जुर्माना की राशि अदा नहीं करने के कारण उसे सजा जेल में रखा गया है। हम इस तथ्य से माननीय न्यायालय को अवगत कराएंगे।