बक्सर खबर। निजी विद्यालयों द्वारा बच्चों को शिक्षा नहीं दी जा रही। उन्हें और अभिभावकों को एक साथ लूटा जा रहा है। तभी तो बच्चों की किताबें हर वर्ष बदल जाती हैं। स्कूल ड्रेस व फीस का भी वही हाल है। ट्यूशन फीस के साथ डेवलपमेंट चार्ज भी अभिभावक ही देते हैं। शिक्षा का बाजारिकरण करने वाले ऐसे विद्यालयों के खिलाफ लोगों को एकजुट होना चाहिए।
युवाओं ने कहा आज स्कूल वाले बच्चों को पढ़ना नहीं सीखाते उन्हें लूटना की कला बताते हैं। यह कहते हुए आज गुरुवार को राजगढ़ चौक से डुमरांव थाना तक युवाओं की टोली ने प्रतिरोध मार्च निकाला। प्रदर्शन करने वाले युवाओं का कहना था, अगर आज विरोध नहीं हुआ तो स्कूल वाले हमेशा अपनी मनमानी करेंगे। विरोध प्रदर्शन में पंकज ओझा, कैलेन्द्र तिवारी, मनोज राय, बादल, अंकित, अभिषेक, रीषु, आदित्य, अभय आदि शामिल हुए।
देश कोविड-19 के संकट से गुजर रहा है लेकिन निजी विद्यालय अपने मुनाफे के लिए परेशान है शिक्षकों के वेतन भुगतान के लिए ऑनलाइन पढ़ाई एक ड्रामा है सोचिए कक्षा 5 तक का विद्यार्थी क्या ऑनलाइन पढ़ाई करेगा ऑफलाइन पढ़ाई तो उसके समझ में नहीं आती यदि विद्यालय संचालक कि संपत्ति की जांच हो जाए तो सभी के होश उड़ जाएंगे इतनी आमदनी है कुछ विद्यालयों की 1 वर्ष की आमदनी से जिंदगी भर शिक्षकों को वेतन दे सकते हैं कम से कम इस कोरोना संकट में तो निजी विद्यालयों को शर्म करनी चाहिए कि लुटे नहीं ।
लेकिन भारत सरकार के विद्यालय में क्यो फीस ली जा रही है जैसे केंद्रीय विद्यालय में फीस के साथ साथ री एडमिशन फीस भी लिया गया है। इनके बारे में भी पाठको को बताए।