कोरोना-कोटा-किसान, सब परेशान

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बक्सर खबर। (माउथ मीडिया): पिछले सप्ताह बतकुच्चन गुरु से मुलाकात नहीं हुई थी। आज मिले तो हमने सवाल दागा। क्या बात है, न मुलाकात हुई न बात हुई। कोई विशेष परेशानी? मेरा इतना बोलना ही उनके लिए बम फटने की तरह था। वे किसी को बोलने का मौका तो देते नहीं हैं। शुरू हो गए, तो फिर रुकने वाले कहां थे। मेरे साथ आप भी सुनिए उनकी बातें। बतकुच्चन गुरू – परेशानी पूछ रहे हैं, केकर -केकर परेशानी बतावें हम! पहले हम्मर सुनिए।

मुंह पर जाब कसे-कसे नाक टेढ़ी हो गई है। इ नाक पर हम कबहू माछी ना बइठे दिए। आज इस कोरोना के चक्कर में नाक त नाक हम्मर कान दुखा गया है। शहर में दोकान दौरी खुले लगा त हम गांव चले गए। सोचे घर परिवार के हाल चाल ले ले ते हैं। वहां गए तो ससुर किसान लोग कपारे हाथ ध के बइठा है। हम एकाद मनई से पूछे। का बात है, काहे लोला लटकावे हो। उस सब कहे लगे। का बतावें, हाल बहुते खराब है। सरकार कोटा में फ्री के अनाज बाट रही है। बहुते परेशानी हो गवा है। हमके बड़ा हैरानी भवा। हम बोले कि कोटा के अनाज से तोके का परेशानी हो गवा है? अच्छा तो है, गरीब गुरबा के अनाज मिले है। खावे पकावे के सहारा मिल जावे है।

उ मरदवा हमरे पर पनही निकाल लिहिस। कहे लगा भागो इहां से। तोहके पता है कि खेते में खाद छीटे बदे पइसा चाही। ससुरा बनिया सब चाउर गहूं के रेट गिरा दिया है। घर में हम अनाज बचा के रखे थे। रोपनी-सोहनी में काम करेगा। उ सारा सब के सब रेट थउस गया। हम उ मनई के थोड़ा दिलासा दिए। बोले ठीक है ठीक है। पर कोटा से दिक्कत का है। उ बोले लगा, सरवा सब कोटा के अनाज मंडी में बिक रहा है। लेबे वाला भी बेच रहा है, कोटा वाला भी बेच रहा है। बनिया सब के अनघा अनाज मिल रहा है। सस्ता माल ले के बउरा गया है। किसान के रकम के कवनो भैलू ना रहा। एतना घाटा लगा है। का बतावें समझ में ना आ रहा है।

जब हम ओकर बात सुने गुरू तब हमके समझ में आवा रहा। कोरोना के चलते कोटा अउर कोटा के चलते किसान के बीच का कनेक्शन हवा। इतने में गांव के एगो लोफर गली में घूमत मिल गवा। हम पूछे का घुलेटन कछु काम कर रहे हो। उ ससुरा जौन बोला, ओके सुन के त हमारा भक्के मार दिया। अब क्या करना है काका, नौकरी मिले त सरकारी ना त बेचिए तरकारी। बतकुच्चन गुरु की बाते सुन मेरे माथे पर भी बल पड़ गए। मैने उनको राम सलाम कहा और वहां से चलता बना। कितनी अजीब है दुनियादारी। लिखते वक्त मुझे आज ऐसा लग रहा है। यह व्यंग नहीं, कड़वा सत्य है।
नोट- माउथ मीडिया हमारा साप्ताहिक कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। अगर पढ़ते वक्त कुछ गलत दिखे अथवा कोई सुझाव जेहन में आए। तो हमें जरुर सूचित करें। इसके लिए आप कमेंट का माध्यम चुन सकते हैं।

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