मजबूर शबाना को नहीं मिल रहा इंसाफ

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-यह देश है जहां लाश पर होती है राजनीति
बक्सर खबर। कितनी बड़ी विडंबना है। यहां मजबूर को कोई इंसाफ दिलाने के लिए कोई आगे नहीं आता। जब किसी के साथ अनहोनी हो जाती है। तो लाश पर राजनीति शुरू हो जाती है। हम बात कर रहे हैं डुमरांव के शबाना की। जिसकी शादी 6 अप्रैल 2018 को आरा के धमार निवासी कमाल हुसैन पिता नसरुद्दीन के साथ हुई थी। लेकिन, ससुराल वालों ने उसे घर से निकाल दिया। मारपीट की और उसके गर्भ का नुकसान भी किया। एक वर्ष तक पंचायत चली पर उसे समाज इंसाफ नहीं दिला सका। पीडि़त के आवेदन पर डुमरांव थाने ने अगस्त 20 में प्राथमिकी जर्द की।

लेकिन, कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं। आज स्थिति ऐसी है, शबाना पिता के घर में बैठी है। अब्दुल हाशमी जो पुराना थाना डुमरांव के रहने वाले हैं। उनकी हैसियत ऐसी नहीं कि समाज और कानून के रखवालों को कुछ कह सकें। जब मीडिया वाले सामने पड़ते हैं तो वे हसरत भरी नजरों से उनकी तरफ देखते हैं। शायद मीडिया वाले उनकी बेटी को न्याय दिलाने में मदद करें। उन्हें यह नहीं पता, यहां की मीडिया, नेता, समाजसेवी और प्रशासन लाश पर राजनीति करते हैं। जब अनहोनी हो जाती है। सबकी गाड़ी दौडऩे लगती है। तभी तो हाथरस की मनीषा को न्याय दिलाने के लिए बक्सर के लोग कैंडल जलाते हैं। डुमरांव की शबाना के लिए कोई सांस नहीं लेता।

पुलिस के पास नहीं है माकूल जवाब
बक्सर खबर। डुमरांव थाने में दर्ज मुकदमा संख्या 304/20 के बारे में पूछने पर वहां की पुलिस कोई माकूल जवाब नहीं देती। यह जरुर पता चलता। शबाना के केस की जिम्मेवारी किसी महिला पुलिस वालों को दी गई है। जिससे पीडि़त अपनी बातें उससे आसानी से कह सके। और महिला अधिकारी उसके दर्द को समझ सके। बाद बाकि इंसाफ तो देर सबरे मिलता ही रहेगा। भले ही कोई तिल-तिल कर मरता रहे।

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