-चांदी का बर्तन खरीदना है शुभ, यमराज के लिए निकालते हैं दीप
बक्सर खबर। कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी धनतेरस कहलाती है। इस वर्ष दिनांक 12/11/2020 को ही धनतेरस पड़ रहा है। दिन भर पूर्ण द्वादशी के उपरान्त प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि होने से धनतेरस और धनवन्तरि जन्मोत्सव मनाने का शास्त्रीय विधान है। इसके लिए श्लोक है।
सूर्यास्तम्योत्तरभित्रिमुहूत्र्तात्मक प्रदोषव्यापिनी त्रयोदशी ग्राह्या।
प्रदोष व्यापिनी त्रयोदश्यां धनत्रयोदशी।।
इस दिन चांदी का बर्तनादि खरीदना अत्यन्त शुभ माना जाता है। परन्तु वस्तुत: यह यमराज से समबन्ध रखने वाला व्रत है। इस दिन सायंकाल घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उसके ऊपर यमराज के निमित्त दक्षिणाभिमुख दीपदान करना तथा उसका गन्धादि से पूजन करना चाहिये—
दीपदान मंत्र–
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां,कालेन यमया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यय:प्रियतां मम।।
शास्त्रों के अनुसार यमुना जी यमराज की बहन हैं। इसलिये धनतेरस के दिन यमुनास्नान का भी विशेष माहात्म्य है। आज के दिन दीपदान करने से अपमृत्यु,अरिष्ट का नाश होता है।
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनस्यति।।
इस विषय पर धनतेरस से सम्बन्धित एक कथा भी शास्त्रों में वर्णित है। जिसमें यमराज ने कहा कि धनतेरस के पर्व पर मेरे उद्देश्य से जो भी दीपदान करेगा उसकी असामयिक मृत्यु नहीं होगी।
भगवान धन्वन्तरि कार्तिक मास के कृष्णपक्ष त्रयोदशी तिथि को ही समुद्रमंथन के समय संसार के समस्त रोगों की औषधियों को कलश में भरकर प्रकट हुये थे। और भगवती लक्ष्मी का भी प्रादुर्भाव हुआ था। इसीकारण भगवान धन्वन्तरि का जन्म जयन्ती महोत्सव मनाया जाता है। उनका षोडशोपचार पूजन श्रद्धाभक्ति पूर्वक करते हुये आरोग्य लाभ और मङ्गलकामना की जाती है। तथा धन ऐश्वर्य वृद्धि हेतु धातु ,बर्तन, झाड़ू की खरीदारी और लक्ष्मी पूजन की परम्परा भी चालू हो गई।
आज ही से अमावस्या तक गोत्रिरात्र व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना हेतु भी किया जाता है। इसका वर्णन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है।
पूजन मुहूर्त समय–रात्रि 06: 32 से 09: 34और मध्यरात्रि 11: 52 से04:18शेष रात्रि तक उत्तम है।
खरीदारी मुहूर्त रात्रि 06: 32 से अगले दिन सायं 04:12 तक त्रयोदशी तिथि में कर सकते है।
आलेख : ज्योतिषाचार्य पंडित नरोत्तम द्विवेदी