किसान परेशान : चालीस रुपये आलू, चौदह रुपये धान

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-फीकी रही दिवाली, आर्थिक तंगी से जूझ रहे अन्नदाता 
बक्सर खबर। किसान परेशान हैं। क्योंकि उन्हें फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा। जिले में सरकारी स्तर पर धान की खरीद शुरू हुई नहीं है। इस वजह से उनकी दिवाली भी फीकी रही। भविष्य की खेती पर भी इसका असर पड़ रहा है। क्योंकि धान की कटनी के साथ रबी फसल लगाने का कार्य भी हो रहा है। मजबूरी के मारे किसान अपनी फसल कम दाम पर बेचने को विवश हैं।

बाजार का हाल कुछ ऐसा है। जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। धान खरीदने वाले 14 रुपये किलो का मूल्य भी नहीं दे रहे। पेट चलाने के लिए घर में अनाज तो है। लेकिन, बाजार से जब सब्जी खरीदने जाओ तो आलू चालीस रुपये किलो मिल रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों की दिवाली और छठ तो फीकी रही है। उनकी खेती पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कृषि विभाग आंकड़े जारी करता है। इतने हेक्टेयर में धान लगा है। लेकिन, उनकी फसल कैसे बिकेगी। इसका समाधान उनके पास नहीं।

क्योंकि राज्य सरकार ने पूरा दारोमदार सहकारिता विभाग को दे रखा है। पैक्स बनाए गए हैं। इसके अध्यक्ष तो ऐसे हैं। जो किसान को कौन कहे। वे सरकार को ही लूट लेते हैं। उपर से सरकारी खरीद की ऐसी व्यवस्था है। खेत की रशीद कटाओं, एलपीसी बनाए, ऑनलाइन करो। पता चला अंचल वाले एलपीसी देने के नाम पर चौदह दिन दौड़ाते हैं। फिर कहते हैं, जमीन तो बाप-दादा के नाम पर है। आपके नाम से बनेगी नहीं। बनेगी तो कुछ खर्चा करना होगा। किसानों को इसकी उचित सलाह देने वाले कृषि सलाहकार तो अपने दफ्तर से ही परेशान हैं। उनका किसानों से कोई सीधा संवाद है ही नहीं।

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