बक्सर खबर (माउथ मीडिया): पिछले दस दिनों से बतकुच्चन गुरु न जाने कहा चले गए थे। ऐसा लग रहा था मानो कहीं गुमसुम हो बैठ गए हैं। उनसे बात हो। इसकी गरज से मैं फोन मिला रहा था। लेकिन, बात नहीं हो रही थी। शुक्रवार की देर रात उनका फोन मिला। दुआ सलाम के साथ मैंने उनका हाल जानना चाहा। एक दम से खिलखिलाते हुए बोल पड़े। का हाल हौ गुरू। हम तो सरकार बने के बाद से इत्मीनान से खुटा गाड़ के बइठ गए हैं। जाने हो प्रदेश में कहे बदे नई सरकार बनी है। हम तो मान के चल रहे हैं। सरकार पुरानी हौ। एकरा बने से अफसरवन सबे के फायदा हुआ रहा। सब मिला के धड़कन तेज हो गवा था।
दूसरी सरकार आती तो न जाने कितने मिला के बोरिया बिस्तर बंधा जाता। यहां से उहां ट्रांसफर का चक्कर होता। लेकिन, पुरानी सरकार टिकी रही सो अफसर सब चैन के सांस ले रहा है। परेशानी उ नेता सबके बढ़ी है। जौन मिला जोर लगाके आगे त बढ़ा है। लेकिन, गाड़ी मुंह पर जाकर फस गई है। उ नेतवन के कष्ट बढ़ गवा है। विधायक बने हैं। लेकिन, हाथ में तख्ती ले के दुआरी पर खड़ा होके चिल्लावे पड़े है। सरकार से रगरारगरी हो रहा है। बतकुच्चन गुरू बोले जा रहे थे। मैंने उनको रोकने की गरज से कहा। गुरु कब आएंगे बक्सर। वे मेरा इशारा समझ गए। बोले मिलेंगे हर नाके पर मिलेंगे, हम पीछे रहे वाले थोड़े हैं। फिर हम दोनों हंस पड़े और बातों ने वहीं विराम लिया।
माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।