देश का सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट है बक्सर

0
745

-एक ऐसा जिला जहां लाखों लोग खाते हैं एक ही भोजन
बक्सर के लिट्टी-चोखा ने दी बिहार को इस व्यंजन की पहचान
बक्सर खबर। इसे सनातन धर्म की आभा कहें या जिला वासियों का संस्कृति से लगाव। बिहार का बक्सर जिला यहां एक दिन बहुत ही खास होता है। इस तिथि को बीस लाख से अधिक लोग एक ही भोजन करते हैं। अगहन कृष्ण पक्ष की इस तिथि को लोग पंचकोश के नाम से जानते हैं। पांच दिनों का मेला जीस दिन समाप्त होता है। उस दिन हर घर में एक ही भोजन बनता है।

लिट्टी-चोखा, क्या शहर क्या गांव। हर जगह इसकी धूम रहती है। जानकारों का कहना है। सिर्फ बक्सर ही नहीं, पड़ोस के आरा, सासाराम, कैमुर, बलियां और गाजीपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी यही खाना बनता है। क्योंकि बक्सर आए प्रभु श्रीराम ने इस तिथि को यही प्रसाद ग्रहण किया था। विश्वामित्र ऋषि ने भगवान के सम्मुख यह प्रसाद रखा। अपने अध्यात्मिक महत्व को बनाए रखने की गौरव शाली परंपरा आज भी जीवित है।

-गंगा स्नान करते लिट्टी-चोखा मेले में आए लोग

इसको लेकर एक कहावत भी है। माई बिसरी, बाबू बिसरी, पंचकोशवा के लिट्टी-चोखा नाहीं बिसरी। पुराने लोग बताते हैं इस मेले का ही प्रभाव है। आज बिहार का प्रमुख भोजन लिट्टी-चोखा कहा जाता है। क्योंकि पहले बिहार बंगाल राज्य का हिस्सा हुआ करता था। जब यह अलग राज्य बना तो यही लिट्टी-चोखा बिहार की पहचान बना। जिस दिन यहां लिट्टी-चोखा मेला यहां लगता है। उसे देखकर आप कह सकते हैं। यह भारत वर्ष का सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट है।

-किला मैदान में लिट्टी बनाते लोग व चारो तरफ-फैली राख

चरित्रवन का है विशेष महत्व
बक्सर खबर। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम व लक्ष्मण जब सिद्धाश्रम पहुंचे(वर्तमान बक्सर ) तो इस क्षेत्र में रहने वाले पांच ऋषियों के आश्रम पर आर्शीवाद लेने गए। उनका अंतिम पड़ाव रहा चरित्रवन। जहां विश्वामित्र मुनी का आश्रम था। यहां भगवान ने लिट्टी-चोखा खाया था। इस वजह से इस तिथि को चरित्रवन का हर कोना-कोना लोगों से भर जाता है। गैर जिलों और ग्रामीण इलाकों से पहुंचने वाले लोग यहां लिट्टी बनाते और खाते हैं। यहां सुबह से लेकर शाम तक मेले का नजारा रहता है। जिसकी वजह से चरित्रवन में भारी भीड़ एकत्र होती है।

राजनीति की लिट्टी: सदर विधायक संजय तिवारी

आमजन की राय – वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर वर्मा कहते हैं, बीस लाख का अनुमान तो कम है। इससे ज्यादा संख्या में लोग पंचकोश समापन के दिन यह प्रसाद ग्रहण करते हैं। 20 लाख से अधिक तो इस जिले की आबादी है। इसके अलावा यहां काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस बल के लोग, अतिथि, मजदूर इनकी संख्या बीस लाख से भी अधिक होगी। बक्सर के लोग जहां बसते हैं। वे इस दिन लिट्टी-चोखा बनाकर ही खाते हैं।
घर में लिट्टी-चोखा बनाता परिवार

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here