बक्सर खबर। (माउथ मीडिया): बतकुच्चन गुरु से राह चलते मुलाकात हुई। हाथ हिलाए और निकल लिए। मैं परेशान, इतने दिनों बाद दिखे लेकिन, तेज रफ्तार निकल गए। मन में कशमकश लिए मैंने उनको फोन किया। आप रुके नहीं तेजी से निकल गए। मेरी बात सुनते ही वे बोल पड़े। बच के रहो गुरू, जमाना खराब है। फोन-सोन पर बतिया लो वही बढिय़ा हैं। मैंने उन्हें टोकते हुए पूछा क्या कोविड के भय से आप नहीं रुके। मेरी बात सुनते वे भड़क गए। बोले का बुड़बक टाइप बतियातें हैं। अरे कोरोना लापरवाही करने पर पकड़ता है। उ सरवा दिखता भी नहीं है। यहां तो सबसे बड़ा खतरनाक मनई है। खुद के मानव कहता है, उगलता जहर है। सबके पता है, जात-पात बतियावे से समाज में जहर फइलता है। लेकिन, इस सब पढ़ लिख के जहर फइला रहा है। भोभा ले के दूर बइठल लोगन के कान में जहर घोल रहा है।
उनकी बातें मेरे पल्ले पड़ नहीं रहीं थी। किसी बात को लेकर इतने आवेश में हैं। मैंने पूछा कौन जहर घोल रहा है। बतकुच्चन गुरू फिर भड़क गए। अरे हम भुत-बैताल के बारे में थोड़े न बतियां रहे हैं। यहां जौन मनई सब बाजार में खुद के नेता कह रहा है। ओकर बात कह रहे हैं। बहुते अनजान बन रहे हो। तनिक हमरा बताओ। जात-पात, अगड़ा-पिछड़ा कौन बतियाता है। काहे बतियाता है। अरे गुरू उ अपन्न राजनीति के ोटी सेकता है। बात विकास की करता है। सीधे-साधे लोगन के मन में जहर घोलता है। अनाप-सनाप बकता है। ए मुलुक में नया फैशन चला है। भड़काउ बात बोलो, खुद के हीरो बना लो। उ सबके भी दोष ना है। कउआ की पाठशाला में रहा है। कोयल की बोली कइसे बोलेगा। लेकिन, एक बात हौ गुरू, बोले से इ पता लग जात हौ, कौन मिला कोयल है कौन ससुरा काग। उनकी बाते सुन मैं हंस पड़ा। फिर राम-सलाम कर हम लोगों ने आपस में विदा ली।
माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।