-जाने शीत लहर में बचाव के तरीके, एहतियात जारी
बक्सर खबर। ठंड का प्रभाव बढ़ गया है। शाम होते ही इसका असर साफ दिख रहा है। ऐसे में जरुरी है सभी लोग सचेत रहें। आवश्यक सावधानी बरतें। इसके लिए आज मंगलवार को जिला प्रशासन ने भी आवश्यक सूचना जारी की है। जिसमें कहा गया है। बिहार में दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह से लेकर जनवरी के तीसरे सप्ताह तक शीत लहर का प्रभाव देखा जाता है। हालांकि शीत लहर शुरू होने पर तापमान सात डिग्री सेल्सीयश तक पहुंच जाता है। अभी फिलहाल इसका निचला स्तर 10 डिग्री तक पहुंच रहा है। मंगलवार की दोपहर यह 15 डिग्री तक रहा। प्रशासन ने शहर के मुख्य स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की है। जैसे स्टेशन, बस पड़ाव, सदर अस्पताल, माडल थाना के समीप व रामरेखा घाट, नाथ मंदिर जैसे स्थानों पर अलाव जल रहे हैं।
शीत लहर में क्या करना चाहिए
बक्सर खबर। शीत लहर या ठंड लगने पर व्यक्ति में विभिन्न तरह के लक्षण उत्पन्न होते हैं यथा- शरीर का ठंडा होना एवं अंगों का सुन्न पडऩा, अत्यधिक कपकपी या ठिठुरन, बार-बार जी मिचलाना या उल्टी होना, अद्र्धबेहोशी की स्थिति अथवा बेहोश होना। शीत लहर या ठंड से बचाव के उपाय हैं-अनावश्यक घर से बाहर न जाएं और यथासम्भव घर के अंदर सुरक्षित रहें (विशेषकर वृद्ध एवं बच्चे), यदि घर से बाहर जाना आवश्यक हो तो समुचित ऊनी एवं गर्म कपड़े पहन कर ही निकलें। बाहर निकलते समय अपने सिर, चेहरे, हाथ एवं पैर को भी उपयुक्त गर्म कपड़े से ढ़क लें। समाचार पत्र/रेडियो/टेलीविजन के माध्यम से मौसम की जानकारी लेते रहें, शरीर में उष्मा के प्रवाह को बनाये रखने के लिए पौष्टिक आहार एवं गर्म पेय पदार्थों का सेवन करें, कमरों में जलती हुई लालटेन, दीया एवं कोयले की अंगीठी का प्रयोग करते समय धुएं के निकास का उचित प्रबंध करें।
प्रयोग के बाद इन्हें अच्छी तरह से बुझा दें, हीटर, ब्लोअर आदि का प्रयोग करने के बाद स्विच ऑफ करना न भूलें अन्यथा यह जानलेवा हो सकता है, राज्य सरकार द्वारा शीतलहर में सार्वजनिक स्थलों पर की गई अलाव की व्यवस्था का लाभ उठाकर शीतलहर से बचा जा सकता है, राज्य सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों में बेघरों के लिए रैन बसेरों का प्रबंध किया जाता है, जहां कंबल/बिस्तर आदि उपलब्ध रहते हैं। इन सुविधाओं को उपयोग करें, उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह के मरीज तथा हृदय रोगी चिकित्सक की सलाह जरूर लेते रहें तथा सामान्यतया धूप होने पर ही घर से बाहर निकलें, विशेष परिस्थिति में नजदीकी सरकारी अस्पताल से अविलम्ब चिकित्सीय परामर्श लें, पशुओं का बथान गर्म रखने की समुचित व्यवस्था करें, पशुओं को ठंड लगने पर पशु अस्पताल/पशु चिकित्सक की सलाह लें।