जिला बनने के बाद किला मैदान में रहे हैं राष्ट्रीय पर्व के गवाह
बक्सर खबर। भारतीय संस्कृति कहती है। जितना आदर राजा को मिलना चाहिए। उतना ही उसके सारथी को। तभी तो हमारे यहां लोग चालक को भी ड्राइवर साहब कह कर संबोधित करते हैं। आज हम वैसे ही चालक से मिलेंगे। जिन्हें लोग प्यार से गोप जी कहते हैं। लेकिन, आज गोप जी की चर्चा हम यूं ही नहीं करे। हमने इन्हें अपने साप्ताहिक कालम यह भी जाने में जगह दी है। जो मंगलवार को प्रकाशित होता है।
खबर के फ्लायर में दी गई तस्वीर आज (26 जनवरी 2021) किला मैदान में ली गई। जब हमारे संवाददाता बंटी ने इनकी तरफ कैमरा किया तो इनकी आंखे भर आई। उन्होंने अपने चीर परिचित अंदाज में कहा। अरे पत्रकार बाबू अब क्या तस्वीर लें रहे हैं। हमारा तो यह अंतिम समारोह है। उनके यह शब्द हमारे लिए खास हो गए। पूछा आप ऐसा क्यूं कह रहे हैं। उनका जवाब था पिछले 26 वर्षो से लगातार यहां मैं आ रहा हूं। गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस। इस किला मैदान में परेड की जीप हो अथवा जिप्सी मैं ही चलाता था। बहुत से डीएम, एसपी व एसडीओ आए। सब चले गए, अब अपनी बारी है।
इसी वर्ष मार्च माह में सेवानिवृत हो जाउंगा। इतना कहते ही उनका गला फिर रुध आया। गोप जी का पूरा नाम रामनाथ प्रसाद है। शहर के सोहनी पट्टी में रहते हैं। चार पुत्र हैं और तीन बेटियां। एक बेटे को छोड़ सबकी शादी हो गई है। पूछने पर उन्होंने बताया राजपुर प्रखंड से सेवा की शुरूआत की थी। 15 जुलाई 1982 को मैं दैनिक वेतनभोगी के रुप में इस सेवा से जुड़ा था। उसके बाद मेरा तबादला बक्सर अनुमंडल हो गया। 1992 में हमारी सेवा नियमित हो गई। उसके बाद से आज तक मैं ही किला मैदान में परेड की गाड़ी चलाता आया हूं। लेकिन, अब यह साथ छूट जाएगा। इसका अफसोस भी है और अपनी ड्यूटी मुस्तैदी के साथ करने का गर्व भी।