-फसल अवशेष विषय पर परिचर्चा का आयोजन
-मंत्री ने कहा सरकार किसानों के उत्थान के लिए है तत्पर
-राजगढ़ में आयोजित हुआ अभिनंदन समारोह
बक्सर खबर। किसान जानकारी के अभाव में फसलों के अवशेष को जला रहे है। इससे हमारी भूमि व पर्यावरण दोनों दूषित हो रहा है। जरूरत है कि कृषि वैज्ञानिक किसानों के बीच जाकर उन्हें फसल अवशेष प्रबंधन की जानकारी दें तथा किसानों को यह समझाए कि बिना जलाए फसल के अवशेष का उचित प्रबंधन कर किसान कैसे आर्थिक लाभ कमा सकते है। उक्त बातें सूबे के कृषि, सहकारिता व गन्ना उद्योग मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने रविवार को डुमरांव के वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज के प्रांगण में कही। वे कॉलेज प्रबंधन द्वारा जलजीवन हरियाली योजना के अंतर्गत संचालित मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत “फसल अवशेष प्रबंधन” विषय पर आयोजित सेमिनार के उदघाटनकर्ता के तौर पर पहुंचे थे।
इसके पूर्व उन्होंने सेमिनार को विधिवत उदघाटन किया। कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार समेत पूरा देश कृषि प्रधान देश है। आज भी हमारे देश की 66 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि मंत्री ने किसानों से फसल अवशेष के प्रबंधन के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाने तथा रसायनिक खादों के बदले जैविक खादों के उपयोग करने की नसीहत दी। कृषि मंत्री ने कहा सरकार खेती को उद्योग का दर्जा दिलाने के लिए वे तत्पर है तथा किसानों को उनके साथ कदम से कदम मिला वैज्ञानिक खेती अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।
विश्वविद्यालय की अहर्ता पूरी करता है डुमरांव का कृषि कॉलेज
बक्सर खबर। कृषि मंत्री ने डुमरांव स्थित वीर कुंवर सिंह कृषि कॉलेज को विश्वविद्यालय की अहर्ता रखने वाला बताया तथा कहा कि इस कॉलेज को विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने का वे प्रयास कर रहे है। इसका प्रस्ताव भी बिहार सरकार को भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा कि बहुत जल्द इस कॉलेज को विश्वविद्यालय के रूप में तब्दील कर दिया जाएगा।
पुआल कूड़ा नहीं खेती का गहना है- डा पीएस पांडेय
सेमिनार को संबोधित करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सहायक महानिदेश डा पीएस पांडेय ने कहा कि पुआल व अन्य फसल अवशेष कूड़ा नहीं बल्कि खेती का गहना है। इसे मिट्टी में मिलाने से खेती को बड़ा लाभ मिलता है। उन्होंन बताया किसान अवशेष के बदले अपनी किस्मत जलाते है। इसके साथ ही कृषि वैज्ञानिक ने फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी दी तथा किसानों को बताया कि हाल के दिनों में देश में कई ऐसे मशीने भी आ गई है जो फसलों के अवशेष को इक_ करने से लेकर उसे बंडल बना समुचित प्रबंधन तक कर देती है। उन्होनं बताया कि जीरो टिल सीड-कम-फर्टीलाइजर ड्रिल से गेहूं की बुआई के समय बड़ा फायदा मिलता है। इससे धान के अवशेष को जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जबकि स्ट्रॅारीपर मशीन अवशेषों को भूसा में तब्दील कर देती है। वही रिवर्सिबल एमबी प्लाउ मशीन अवशेष को छोटे-छोटे टुकड़ों में में काटकर मिट्टी में मिला देती है।
राजगढ़ में हुआ अभिनंद समारोह
बक्सर खबर। स्थानीय लोगों द्वारा राजगढ़ में कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह का अभिनंद समारोह आयोजित किया गया। जिसमें स्थानीय जन प्रतिनिधियों के अलावा डुमरांव महाराज चन्द्र विजय सिंह, भाजपा नेता ओम प्रकाश भुवन आदि शामिल हुए। लोगों को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री ने कहा। डुमरांव अनुमंडल में मलई बराज परियोजना अधूरी पड़ी है। हम प्रयास करेंगे। 2022 तक उसे चालू कर दिया जाए। जिससे इस क्षेत्र के किसानों को लाभ मिले।
सेमिनार में शामिल कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह
-अभिनंद समारोह में शामिल कृषि मंत्री