क्या दिखावा है महिला दिवस : बहन भाई के लिए ठोकरें खा रही है

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-दूसरी तरफ न्याय के लिए थाने का चक्कर काट रही है पीडि़ता
बक्सर खबर। महिला दिवस पर एक दिन सम्मान पाने से क्या नारी को बराबरी का दर्जा मिल जाएगा। यह सवाल मीडिया में छाया रहता है। जब वर्ष में एक बार महिला दिवस आता है। लेकिन, इसका दूसरा पहलू देखकर मन व्यवस्था को कोसने लगता है। कुछ यही दर्द है उस बहन का। श्वेता अपने अपने लापता भाई वीर प्रताप को ढूंढने के लिए लगातार पुलिस के दरवाजे पर दस्तक दे रही है। इसकी प्राथमिकी अक्टूबर 2020 में दर्ज हुई थी। परिवार का कहना है, उसका अपहरण हुआ है। लेकिन, उसकी कोई नहीं सुनता। इस सिस्टम के खिलाफ वह धरने पर बैठना चाहती है। लेकिन, उसे इसकी अनुमति नहीं मिल रही। वह एसडीओ, एसपी व डीएम सबका दरवाजा खटखटा चुकी है। लेकिन, उसे कोई मदद नहीं मिल रही।

ऐसा ही दर्द है एक दूसरी युवती का। उसे जिस युवक से प्यार हुआ। उसने ही धोखा दे दिया। पहले नौकरी के नाम पर दूसरे प्रदेश भाग गया। आया तो अपनाने से इनकार कर दिया। परेशानी युवती सारीमपुर के युवक वसीम खान के घर पहुंची। तब घर वालों ने उसे अपमानित किया। जीवन से निराश हो चुकी युवती ने उसके घर के सामने ही आत्महत्या का प्रयास किया। लेकिन, लोगों ने उसे बचा लिया। उसकी शिकायत महिला थाने में दर्ज हुई। लेकिन, अब महिला थाने की पुलिस ही उसे दौड़ा रही है। प्यार में धोखा देने वाले युवक ने उसका गर्भपात भी करवा दिया था। लेकिन, जांच अधिकारी अब उसकी लीपापोती में जुटे हैं। परेशान युवती न्याय के लिए चक्कर काट रही है। उसका कहना है, आरोपी युवक जेल जा चुका है। लेकिन, महिला थाने की पुलिस ही उसके साथ अन्याय कर रही है। ऐसे हालात में जब किसी मजबूर का दर्द कोई सुनता ही नहीं। तो महिला दिवस मनाने का क्या मतलब रह जाता है।

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