ई पास सुने थे, एंट्री पास का होता है हो …

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया)। बतकुच्चन गुरू मिले, मुझे देखते ही जोर से बोले। अगरे गुरू सुनो, हमरा इ बताओ – एंट्री पास का होता है? लॉकडाउन लगा तो हम ई पास के बारे में पहिला बेर सुने। कुछ दिन बीता त पता चला सब बच्चा भी पास हो गया। ए क्लास में ओ क्लास में चला गया। मतबल परीक्षा-ओरीक्षा नहीं हुआ। अब कुछ दिन से हम एंट्री पास के बारे में सुन रहे हैं। इ का होता है, कइसे बनता है, सुने हैं जेकरा पास होता है। उ ट्रको ले के पास हो जाता है। कवनो ओकरा के नहीं रोकता है।चाहे लॉकडाउन हो, बैरियर डाउन।

उनकी बाते सुन मैं हंसने लगा। उनसे पूछा – क्या बात है, काहे परेशान है, आपको क्या मतलब है इस पास से। मेरी बात सुन वे थोड़ी देर के लिए खामोस हो गए। एक टक मेरी तरफ देखने लगे। फिर दार्शनिक के अंदाज में बोल पड़े। इ भ्रष्टाचार टाइप पास का है। जेकर बारे में बोले से तुम बच रहे हो गुरू। समझ गए समझ गए, इका नीचे बड़ा खेला होबे। कौन-कौन मिला कितना मलाई काट रहे हैं, सब को पता है। भ्रष्टाचार के आचार का स्वाद बहुते मनई ले रहे हैं। टोके पर गुर्राते हैं, उपर-उपर खाते हैं। ई पास से भी जबर है इ एंट्री पास। बहुते मिला यहां ट्रेनिंग लेबे आए हैं। सब पास होकर जाएंगे। कहते हुए बतकुच्चन गुरू, अपनी राह चले गए। मैं उनकी बातें सुन सोच रहा था। कौन बनाता है यह एंट्री पास, किसके लिए होता है यह सब। क्या सचमुच भ्रष्टाचार का आचार इतना मशहूर हो गया है।
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