तेजाब कांड ने बना दिया होनहार युवक को हत्यारा

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-आज फौज में होता, दो हत्याएं करने वाला चन्द्रभान
बक्सर खबर। चन्द्रभान दुबे जिसे पुलिस ने दो हत्याओं के आरोप में गिरफ्तार किया है। उसने चौकाने वाली बातें कहीं हैं। भरे गले से उसने बताया आज मैं फौज में होता। मैंने दौड़ निकाल ली थी। लेकिन, इन लोगों ने बहुत अत्याचार किया। मेरे उपर तेजाब फेंक दिया। मैं मरते-मरते बचा था। जब ठीक होकर वापस आया तो मेरी हत्या की कोशिश हुई। ताकि केस नहीं चले। मैं मजबूर हो गया। और अंतत: ऐसा करना पड़ा। मेरा सपना कुछ और था आज मेरा जीवन ऐसा हो गया। यह कहानी है चन्द्रभान उर्फ गोपाल की। जो कड़सर गांव निवासी ब्रह्मचारी दुबे का पुत्र है। पिता पूर्व से जेल में हैं। अब बेटा भी जेल जाएगा।

चन्द्रभान के उपर दो हत्याओं का आरोप है। 21 जुलाई को शिवनारायण सिंह को मार दिया। 23 अक्टूबर 2018 को अशोक सिंह की हत्या की थी। चन्द्रभान ने मीडिया के सामने हत्या में संलिप्तता स्वीकार की। लेकिन, जो कारण बताया वह रोंगटे खड़े करने वाला है। घटना की शुरूआत 2013 में हुई थी। अशोक और शिव नारायण ने स्वयं अपने पिता रामबालक सिंह उर्फ कड़े सिंह को मार दिया। इस बात की चर्चा पूरे गांव में थी। हमारा घर इनके सामने है। मेरे पिता ने यह कुछ लोगों को बता दी थी। इस वजह से अशोक सिंह ने मेरे पिता और मेरे साथ मारपीट की। मैं छोटा था, मुझे पिता ने पढऩे के लिए झारखंड भेज दिया।

इस बीच उन लोगों ने गोली चलाने का झूठा केस किया। जिसमें मुझे, मेरे पिता, चाचा और दादा को भी आरोपी बनाया। हालांकि केस पुलिस की जांच में फर्जी मिला। लेकिन, वे लोग बार-बार हमारे परिवार पर हमला करते रहे। इसी बीच मैने आर्मी की दो दौड़ में चयनित हुआ। यह बात 2016 की है। लेकिन, 2017 में पूरे गांव के सामने शिवनरायण ने मेरे उपर तेजाब फेक दिया। मैं बच तो गया लेकिन, मेरा परिवार टूट गया। मेरा खुद का शरीर दाग से भर गया। गांव आया तो अशोक सिंह ने कई मर्तबा मेरे उपर हमला करना चाहा। ताकि मेरे साथ केस खत्म हो जाय। मेरा पूरा परिवार दहशत में रहने लगा। मजबूर होकर ऐसा कदम उठाना पड़ा।
यह घटना इस बात की गवाह है। किस तरह चिंगारी आग बन जाती है। एक भूल ने दो परिवारों को बर्बाद कर दिया। जिस बालक को लोगों ने कमजोर समझकर पीटा। उसके उपर तेजाब फेंक दिया। वहीं आगे चलकर उनके लिए काल बन गया। यहां सुन सकते हैं उसका बयान-

2 COMMENTS

  1. आप तो एक अपराधी का वकील बन गए और उसके बातों पर विश्वास कर पैरवी करने लगे । कुछ शर्म करे साहब

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