-गंभीर रूप से घायल को ढाई लाख की सहायता
-15 सितम्बर से प्रभावी नया नियम
बक्सर खबर। सरकार के एक बड़ा एलान है। इसके लिए परिवहन विभाग के हवाले से पत्र जारी किया गया है। 18 अगस्त को जारी पत्र में की गई घोषणा के अनुसार अब सड़क दुर्घटना में हुई मौत पर मृतक के आश्रितों को पांच लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। जबकि गंभीर रूप से घायल को ढाई लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।
सबसे महत्वपूर्ण बात कि मृतक के आश्रित या घायल व्यक्ति को यह प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं होगी कि दुर्घटना, मृत्यु या गंभीर रूप से घायलावस्था वाहन स्वामी या व्यक्ति की भूलचूक से हुई है। मुआवजा राशि के लिए बिहार वाहन दुर्घटना सहायता निधि में राशि जमा रहेगी। खर्च के हिसाब से बिहार सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा समय-समय पर अतिरिक्त राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए कैबिनेट से भी मोहर लग चुकी है। सचिव के पत्र के अनुसार नए नियम 15 सितम्बर 2021 को लागू किया जाएगा।
-एसडीओ करेंगे अनुशंसा, डीएम देंगे स्वीकृति
अंतरिम मुआवजा भुगतान के लिए जिला के एसडीओ को दुर्घटना दावा जांच पदाधिकारी बनाया गया है। वह सड़क दुर्घटना के बाद संबंधित थानाध्यक्ष, स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अनुमंडल अस्पताल या सदर अस्पताल के प्रभारी और जिला परिवहन पदाधिकारी से प्राप्त सूचना या प्रतिवेदन के आधार पर मृतकों या आश्रितों को मुआवजा राशि के भुगतान की कार्रवाई करेंगे। सूचना या आवेदन मिलने के बाद एसडीओ दुर्घटना दावा मूल्याकंन पदाधिकारी सह डीएम को इसकी अनुशंसा करेंगे। डीएम के पास ही मुआवजा राशि की स्वीकृति का अधिकार होगा। डीएम से स्वीकृति के बाद जिला परिवहन पदाधिकारी सह जिला सड़क सुरक्षा समिति के सचिव व्यक्ति की पहचान कर मुआवजा राशि का भुगतान करेंगे।
क्या है नियम कायदे
बक्सर खबर। इसको लेकर लंबी गाइडलाइन जारी की गई है। कानूनी अड़चन आने पर न्यायाधिकरण का गठन किया गया है। जिसकी सुनवायी 60 दिनों में होगी। आवेदक को संबंधित थानाध्यक्ष द्वारा दुर्घटना जांच प्रतिवेदन, जिस अस्पताल में इलाज हुआ है वहां से जारी मृत्यु या घायल होने का प्रतिवेदन एवं डीटीओ से दुर्घटना वाले वाहन का निबंधन, बीमा एवं पता होना अनिवार्य है। नियम के अनुसार आवेदक पत्नी, मांता-पिता, एवं अविवाहित युवक की मृत्यु पर माता-पिता के न होने पर भाई-बहन भी आवेदक हो सकते हैं।
योजना का कमजोर पक्ष
बक्सर खबर। जिस वाहन से दुर्घटना हुई है। उसकी पहचान होना अनिवार्य बताया गया है। जिसके लिए परिवहन पदाधिकारी के प्रमाणपत्र लेने को कहा गया है। अगर वाहन की पहचान नहीं हुई तो मुआवजा नहीं मिलेगा। इसकी अनिश्चितता बनी हुई है। जबकि अधिकांश मामलों में वाहनों की पहचान नहीं हो पाती।