‌‌‌वट सावित्री पूजा : प्रकृति के साथ परमात्मा का संगम

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-सुहागिनों ने साबित किया, उनकी रग-रग में है संस्कार
बक्सर खबर। सुहागिन स्ति्रयों ने सोमवार को वट-सावित्री का व्रत किया। यह ऐसा त्योहार है। जिसमें सुहागिन स्ति्रयां अपने पति के लिए व्रत रखती हैं। क्योकि कभी सावित्री ने ऐसा किया था। जब नारद जी बताया था, आपके पति अकाल मृत्यु के भागी बनेंगे। लेकिन, उन्होंने वृक्ष की पूजा की और अपने पति के प्राण बचा लिए।

इस बार यह त्योहार सोमवार को पड़ा था। और साथ में सोमवारी अमावस्या थी। जिसमें पीपल के पौधे में महिलाएं धागा लपेटती हैं। अमावस्या के दिन यह व्रत कभी माता पार्वती ने भगवान के लिए किया था। सो परंपरा का निर्वहन करते हुए व्याहता स्ति्रयों ने बड़े ही मनोरम ढंग से इस त्योहार का मनाया। कुछ ने व्रत का उद्यापन भी पूजा के उपरांत कर दिया। कुछ ने तो चौबीस घंटे का कठोर व्रत भी किया।

अमावस्या व्रत के विधान के तहत धागा लपेटती महिलाएं

भारतीय संस्कृति में रची बसी महिलाओं का यह दिव्य रुप देख लोग आकर्षित हो रहे थे। बुजुर्ग बताते हैं। हमारी संस्कृति प्रकृति से जुड़ी है। इन दोनों त्योहारों में वृक्ष की पूजा होती है। वट सावित्री में बरगद की तथा सोमवारी अमावस्या में पीपल की। यह मानव की प्रकृति के साथ अनूठे रिश्ते को साबित करता है। इस दौरान दान करने, दक्षिणा देने का भी विधान है। कुछ तस्वीरें इस दौरान देखने को मिली। जिसे आप हमारी खबर में देख सकते हैं।

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