‌‌‌वीर बेटे की कहानी : पिता-पुत्र दोनों करते थे एक ही बटालियन में काम

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-सैन्य आयुद्ध ले जाने के दौरान उद्धमपुर में हुआ हादसा
बक्सर खबर। शहीद विक्रम सिंह (उम्र लगभग 23 वर्ष) ग्राम फफदर, प्रखंड चौगाई को आज शनिवार को बक्सर के शमशान घाट पर अंतिम विदाई दी गई। संयोग देखिए विक्रम का चयन उसी 53 आर्म्ड फोर्स में हुआ था। जिसमें पिता कमलेश सिंह काम करते हैं। पिता टैंक चलाते थे और बेटा उसी टैंक से गोलिया दागता था, विस्फोट करता था। पिता पुत्र की युगलबंदी जबरदस्त थी। लेकिन, वह जोड़ी एक जून को टूट गई।

जब विक्रम सैन्य आयुद्ध लेकर ट्रक से भटिंडा से काश्मीर जा रहा था। रास्ते में उद्धमपुर के पास ट्रक खाई में पलट गया। ट्रक का सारा सामान उसके उपर आ गिरा। जिसके कारण वीर जवान की मौके पर मौत हो गई। चार जून को जब उसका शव दानापुर आर्मी की टीम लेकर गांव पहुंची तो हजारों की संख्या में दर्जनों गांव के लोग पहुंचे। छोटे बच्चे हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर आए थे। भारत माता के जयकारे लग रहे थे।

पिता-पुत्र की फाइल फोटो अपने टैंक के साथ

नजारा देख लोगों की आंखे नम हो गई। सेना के इस जवान को राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया। उसके गांव पहुंचकर जिला प्रशासन की तरफ से एसडीएम कुमार पंकज, एएसपी राज ने भी श्रद्धांजलि दी। चरित्रवन के गंगा श्मशान पर पिता ने बेटे को मुखाग्नि दी। विक्रम दो भाईयों में बड़ा था। जिसे खोने का गम पिता के चेहरे पर दिख रहा था। लेकिन, फौजी पिता खुलकर रो भी नहीं पा रहे थे। दो साल पहले जो बेटा पिता के साथ नौकरी करने आया था। वह उन्हें छोड़कर वीरगति को प्राप्त कर गया।

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