‌‌‌चुनाव में कलछल की अबकी चली धनबल-बाहूबल

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बक्सर खबर (माउथ मीडिया) । बड़े दिनों बाद बतकुचन गुरू लहराते अंदाज में दिखे, कुछ बुदबुदाते चले जा रहे थे। मैंने जोर से आवाज दी और पूछा गुरू काल हाल हो, बड़े दिन बाद दिखे। मेरी तरफ पलट कर उन्होंने देखा और हंस पड़े। मैंने राम सलाम किया तो वो बोले छोड़ो गुरू तुम का काहें बदे इतना अदब दिखाते हो। ए टाइम में चुनाव लड़े वाला मनई सब पैर छू रहा है। आशीर्वाद देबे बदे मोका नाही मिलत हौ, तब तक दूसरा मनई लपक के पैर छू लेत हौ। तोहार फांका होगा हमरा व्यस्तता चल रहा है। उनकी बाते सुन मुझसे रहा नहीं गया।

मैंने पूछ लिया कहां व्यस्त चल रहे हैं? इतना सुनते ही एक दम से शुरू हुए तो फिर बोलते ही चले गए। अरे गुरू शहर में चुनाव का टाइम है। तो का न पता हौ का। एगो गवा नहीं की दूसरा टपक जात हौ। हमरा पर ध्यान देबेके होई। कवनो कहत है हम जिते तो तोहरा घर बत्ती टांग देंगे। कवनों कहता है चौके-चौक गुसलखाना खोलवा देंगे। ससुरा ए से पहले जौन मिला जिते रहे उ पैखाने व कूड़ादान सबके पैसा खा गवा रहा। एगो के कौन कहें सब के सब मिल के सेटिंग किया रहा। एक से एक मशीन खरीदा। अरे खरीदा क्या गुरू पालिका बजार बना दिया। अब जनता से कलछल कर रहा है।

तोके का हम का बतावें गुरू तु ठहरे देहाती मनई। ए बार जिते बदे केतने मिला कलछल के संगे संगे धनबल, बाहुबल का भी जुगाड़ भिड़ा रहे हैं। इ बार के चुनाव में गुरू अच्छे-अच्छे लोग मदाड़ी बने फिर रहे हैं। ससुरा सारे मदाड़ी अपनी-अपनी बनरियां के बाजार में छोड़ दीहिन हैं। जनता ससुरी बौखला गई है। का करे, कवनो मनई के समझ में नहीं आ रहा है। पता नहीं कौन नाचेगी कौन ससुरी काटेगी। हम तो गुरू दूर से सब खेला देख रहे हैं। इतना कहते बतकुचन गुरू निकल लिए। मैं उनसे कुछ पूछना चाह रहा था। लेकिन, वे किसी की सुनते कहां हैं। चलते गए बस चलते गए।
नोट- माउथ मीडिया : बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो अक्सर शुक्रवार को प्रकाशित होता है। आप चाहें तो अपने सुझाव हमें कमेंट के माध्यम से दे सकते हैं।

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