-रविवार की संध्या वेला में दिया जाएगा पहला अर्घ्य
बक्सर खबर। छठ पूजा की शुरुआत शुक्रवार से नहाय खाय से हो चुकी है। आज शनिवार को उसका दूसरा दिन था। घरों में व्रतियों ने खरना का प्रसाद बनाया। खरना शब्द शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है। छठ व्रती को व्रत के पूरे चार दिन शुद्ध, स्वच्छ और पवित्र रहना चाहिए। खरना इसे सुनिश्चित करता है। खरना का प्रसाद बनाने की विशेष हिदायते हैं। जैसे श्रद्धालु मिट्टी के चूल्हे अथवा साफ जगह पर भोजन बनाते है। भोजन बनाने में भी सफाई का खास ध्यान रखा जाता है।
इसके लिए ऐसा स्थान चुना जाता है जो बिल्कुल भी जूठा न हो या जहां पहले अन्न न बना हो। इस स्थान पर मिट्टी के चूल्हे का निर्माण कर वहां पवित्र तरीके से भोजन बनाया जाता है। खरना के दिन गुण की खीर बनाई जाती है। इसे रसियाव कहा जाता है। इसके साथ रोटी बनाई जाती है। खाना बनाने के बाद उसका भोग लगाकर व्रती महिलाएं और पुरुष इसे श्रद्धा पूर्वक ग्रहण करते हैं। यह विधान आज शनिवार को संपन्न हो गया। अब रविवार की सुबह से उपवास का क्रम प्रारंभ हो जाएगा। 30 को ही संध्या वेला में पहला अर्घ्य दिया जाएगा।