किसानों को छोड़ने पर राजी हुआ प्रशासन, सड़क से हटे प्रदर्शनकारी

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-प्रशासन ने कहा हम सहयोग को तैयार, लेकिन विधि व्यवस्था न करें बाधित
बक्सर खबर। चौसा गोला के समीप बीच सड़क पर बैठे किसान अपराह्न साढ़े चार बजे मार्ग को खाली करने पर राजी हो गए। लगभग आधे घंटे प्रशासन और किसानों के बीच वार्ता हुई। यह सहमती बनी कि जिन लोगों को थाने पर बैठाया गया है। उन्हें छोड़ा जाए। साथ ही उचित मुआवजे की मांग को संबंधित विभाग के समक्ष रखा जाए। प्रशासन ने कहा हम अपने स्तर से हर सहयोग करने को तैयार हैं। लेकिन, रेट रिवाइज करने का अधिकार हमारा नहीं है। वहां आपकी बातों को पहुंचाया गया है। जैसा की पूर्व में डीएम के साथ हुई बैठक में आप सभी के साथ तय हुआ था।

इन बातों को सुनने के बाद किसानों ने चौसा-कोचस मार्ग से हटने का निर्णय लिया। पांच बजे तक सड़क का आवागमन सुचारु हो गया। हालांकि इस हंगामे के कारण पिछले चौबीस घंटे से कामकाज प्रभावित हो रहा था। बुधवार की दोपहर प्रशासन की टीम भूमि का सीमांकन करने पहुंची। कुछ किसान विरोध पर अमादा हो गए। जिनमें से कुछ लोगों को पुलिस ने थाने में लाकर बैठा दिया। दूसरी तरफ किसान सड़क पर आ गए। इसी बीच बुधवार की रात एक बजे कुछ किसानों को धरना स्थल से उठा लिया गया। नतीजा गुरुवार की सुबह आठ बजे चौसा गोला, बनारपुर, सिकरौल आदि अनेक गांवों के किसान सड़क पर आ गए।

-चौसा गोला के समीप धरने पर बैठे किसान

सबने मिलकर उस तीराहे को जाम कर दिया। जहां बक्सर चौसा पथ से रामगढ़ और वाराणसी के लिए वाहन जाते हैं। हालांकि पूरे दिन में दो-तीन बार अधिकारियों का दल किसानों से मिलने गया। और अंतत: किसान सड़क से हटने को तैयार हो गए। किसान धीरज तिवारी ने बताया कि चौसा में बन रहे थर्मल पावर तक रेलवे लाइन बननी है। इसके अलावा पानी का पाइप भी बिछाया जाना है। उसी के लिए भूमि का अधिग्रहण हो रहा है। किसान अपने लिए वर्ष 2022 के महंगाई दर के अनुरूप मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि प्रशासन वर्ष 2013 के दर से भुगतान की बात कर रहा है। जिसको लेकर पिछले 46 दिन से धरना चल रहा है। लेकिन, कुछ लोगों की मनमानी के कारण किसानों को उनका वाजिब हक नहीं मिल रहा है।

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