रुपये के लिए निजी अस्पताल ने रोकी महिला की लाश

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– मौत के बाद सड़क पर उतरा परिवार, पुलिस को करना पड़ा हस्तक्षेप
बक्सर खबर। निजी अस्पताल द्वारा मरीजों का दोहन कोई नई बात नहीं है। लेकिन, मंगलवार उस समय हंगामा खड़ा हो गया जब अस्पताल प्रबंधन ने एक गरीब परिवार की महिला ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। और प्रबंधन ने बकाया राशि जमा नहीं करने पर शव देने से इनकार कर दिया गया। पीड़ित परिवार ने गोलंबर की तरफ जाने वाली सड़क पर धरना शुरू कर दिया। नगर थाने की टीम वहां पहुंची तो पीड़ित पक्ष एसपी कार्यालय पहुंच गया। वहां अपना दुख बताया तो पुलिस के हस्तक्षेप के बाद महिला का शव अस्पताल वालों ने उसके परिवार को सौंपा।

मृतक रिंकी देवी के पति चिंटू वर्मा ने बताया कि पत्नी का मायका गाजीपुर, उत्तर प्रदेश के सोनाढ़ी में है। चार-पांच दिन पहले उसने गाजीपुर के अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था। लेकिन, उसके पेट में दर्द हो रहा था। सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। जब परिवार वालों ने बताया तो मैंने उन्हें बक्सर बुला लिया। यहां वीके ग्लोबल अस्पताल में उसे दाखिल किया। डॉक्टर ने पहले 14 हजार रुपये जमा कराए और मरीज को ठीक करने की बात कही। मरीज को आईसीयू में दाखिल किया और आज मंगलवार की सुबह सात बजे कहा कि उसकी मौत हो गई है। और 14 हजार रुपये मांगने लगे। न देने पर शव देने से मना कर दिया। मजबूर होकर हमने पुलिस से मदद की गुहार लगाई।

जब यह बात एसपी को पता चली तो नगर थाने की टीम ने हस्तक्षेप किया। इसके बाद शव परिजनों को सौंपा गया। चिंटू वर्मा ने बताया कि वह पंजाब का रहने वाला है। बक्सर में कबाड़ी का काम करता है। इसी लिए पत्नी को यहां बुलाया था, लेकिन, मेरा तो संसार ही उजड़ गया। इस सिलसिले में डॉक्टर अधीक्षक डॉक्टर वीके सिंह से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया। लेकिन, इसका कोई जवाब नहीं आया। हालांकि सबके अपने-अपने तर्क होते हैं। लेकिन, अगर मरीज की हालत गंभीर हो अथवा अस्पताल वालों को रोग समझ में नहीं आ रहा हो तो, पहले ही मरीज के बारे में घर वालों को बता देना चाहिए। पहले रुपये की उगाही और फिर मरीज की मौत। यह व्यवस्था अस्पताल के शोषण को उजागर करती है।

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