-जानें ग्रहण का समय व उग्रह, किस राशि पर क्या होगा प्रभाव
बक्सर खबर। इस वर्ष 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पड़ रही है। इस तिथि का विशेष महत्व है। आम बोलचाल की भाषा में यह कहा जाता है। पूर्णिमा की इस रात आकाश से अमृत बरसता है। लोग प्रसाद के रूप में खीर बनाकर बाहर रखते हैं। अगले दिन उसे ग्रहण करते हैं। लेकिन, इस वर्ष इस तिथि को चन्द्र ग्रहण लग रहा है। इस वजह से कई लोगों को सावधानी बरतनी होगी। क्योंकि ग्रहण काल में कई तरह की वर्जनाएं होती हैं। ज्योतिष शास्त्र के विद्वान नरोत्तम द्विवेदी बताते हैं कि इसे हम लोग अश्विनी शुक्ल पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस बार अश्विन नक्षत्र और मेष राशि पर खण्डग्रास चन्द्र ग्रहण लगेगा। काशी सहित पूरे भारत में ग्रहण का समय एक ही रहेगा। ग्रहण का समय मध्य रात्रि पश्चात, भारतीय समयानुसार
रात्रि-01:05(प्रारंभ)
मध्य-01:44
मोक्ष-02:23, यह ग्रहण पूरे भारत में एक ही समय में देखा जा सकेगा। भारत के अलावा बहुत से अन्य देशों सुदूर दक्षिण पूर्वी आस्ट्रेलिया को छोड़कर, आस्ट्रेलिया के अन्य भाग में, पश्चिम दक्षिण अमेरिका, उत्तरी पश्चिम अमेरिका के कुछ भागों के अलावा, अफ्रीका, यूरोप,मध्य एशिया, जापान, अटलांटिक, पेसिफिक क्षेत्र, आर्कटिक, अंटार्कटिका क्षेत्रों में दृश्य होगा।
जाने किस राशि पर क्या होगा इसका प्रभाव
बक्सर खबर। राशि अनुसार ग्रहण का गोचर फल-
मेष- घात, अरिष्ट भय, शत्रुपीड़ा, भय।
वृष- धन हानि,कार्य हानि।
मिथुन- लाभ, धनवृद्धि।
कर्क- सुख वृद्धि।
सिंह-मान हानि, कार्य हानि।
कन्या- अरिष्ट भय, मृत्यु तुल्य कष्ट, भय।
तुला-स्त्री पीड़ा।
वृश्चिक-सुख वृद्धि।
धनु-मानसिक चिन्ता, व्यथा।
मकर- दु:ख,व्यथा।
कुंभ-लक्ष्मी कृपा, लाभ।
मीन-धनादि हानि, कार्य हानि, क्षति।
ग्रहण काल में क्या न करें, क्या रखें सावधानी
बक्सर खबर। चन्द्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पूर्व यानि सायंकाल 04:05 बजे से लग जायेगा। सूतक में मंदिर प्रवेश, मूर्ति स्पर्श करना, भोजन करना, मैथुन क्रिया, यात्रा करना इत्यादि वर्जित है। बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते है। भोजन सामग्री जैसे दूध, दही, घी इत्यादि में कुश रख देना चाहिये। गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगा ले वा कुशा रखे। शरद पूर्णिमा के दिन रात में ग्रहण लग रहा है। ऐसे में खीर बनाकर चांदनी रात में कैसे रखा जाएगा? इस सवाल के जवाब में पंडित द्विवेदी ने कहा कि बहुत विचार करने पर यह निर्णय प्राप्त होता है कि, सूतक से पहले ही खीर बनाकर भगवान का भोग लगाकर खीर में तुलसी पत्र, कुशा रखकर रख दें। अगले दिन प्रात:काल प्रसाद स्वरूप उसका सेवन करें।