बक्सर के राम पर हुई राष्ट्रीय गोष्ठी में चर्चा

0
330

-आईआईटी बिहार के निदेशक ने कहा रामायण प्रामाणिक ग्रंथ
बक्सर खबर। बक्सर और यहां के राम दोनों खास हैं। अगर यहां राम की चर्चा होती रही। तो इस भूमि का उत्थान होगा। राम अर्थात एक धर्म ही नहीं आदर्श प्रतिमान। इसकी जोरदार चर्चा शनिवार को एलबीटी कॉलेज के परिसर में हुई। जहां राम कर्म भूमि, साहित्यिक संस्था चित्ति व वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा गोष्ठी का आयोजन किया गया था। इसके उद्घाटन कर्ता रहे केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे व मुख्य वक्ता रहे आईआईटी पटना के निदेशक टीएन सिंह। मंत्री ने अपने संबोधन में कहा। हमारा लक्ष्य है, बक्सर में पराक्रमी राम की प्रतिमा लगे। यह कार्य चल रहा है। अगले दो माह में भूमि पूजन भी किया जाएगा।

कार्यक्रम का शुभारंभ करते सांसद अश्विनी चौबे व आईआईटी के निदेशक टीएन सिंह

वहीं मुख्य वक्ता आईआईटी पटना के निदेशक टीएन सिंह ने विषय पर बोलते हुए कहा। रामायण एक प्रामाणिक ग्रंथ है। वह विज्ञान के लिए एक दस्तावेज की तरह है। जो यह संदेश देता है। जीवन में समाज और प्रकृति दोनों का संरक्षण संवर्द्धन जरूरी है। तभी यह धरा सुरक्षित रहेगी। आज तनीक ताकत बनती जा रही है। और समाज के लिए खतरा भी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे चित्ति के प्रांत संयोजक केके ओझा ने लोगों को बताया। पिछले वर्ष भी नवंबर में बौद्धिक सत्र अहिरौली यज्ञ में चला था। यह उसकी पुनरावृत्ति है। आज का कार्यक्रम दो सत्र में है। आगे यह और व्यापक होगा।

चित्ति द्वारा आयोजित राष्ट्रीय गोष्ठी में शामिल लोग

हालांकि गोष्ठी दो सत्रों में चली। जिसमें रामायण में परिवार की संकल्पना और नारी चेतना। इन दोनों विषय पर वक्ताओं ने बहुत ही तथ्यात्मक संदर्भों की चर्चा की। मुख्य वक्ताओं में प्रो: किस्मत सिंह उपाध्यक्ष प्रज्ञा प्रवाह, प्रो गुरुचरण सिंह, प्रो: आभा सिंह प्राचार्य जगजीवन कॉलेज आरा, पवन कुमार, पवन नंदन, ओम भगत, राजीव भगत, आदि रहे। इस दौरान स्वागत भाषण एलबीटी कॉलेज की प्राचार्य निभा कुमारी, अध्यक्षता प्रो लक्ष्मीनारायण व धन्यवाद ज्ञापन दीनबंधु कुमार ने किया।

राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते छात्र

छात्रों ने प्रस्तुत किया राम रक्षा स्त्रोत का पाठ
बक्सर खबर। कार्यक्रम का केन्द्र राम थे और उनसे जुड़ा रामायण। और सबके केन्द्र में था बक्सर। इस मौके को खास बनाने के लिए 15 युवाओं ने सभा कक्ष में राम रक्षास़्तोत्र का पाठ किया। जिसे सुनकर यह लगा, संस्कृति के संवर्द्धन के लिए राम उर्जा के स्त्रोत हैं। जिसकी सभी आगत लोगों ने प्रशंसा की। इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में अमित ओझा, डॉ गजेन्द्र सिंह, शिवम भारद्वाज, परशुराम पांडेय, उमाकांत, नीरज कुमार, आशुतोष दुबे, चंदन कात्यायन का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here