जन्म के साथ ही मनुष्य पर प्रभावी हो जाते हैं चार ऋण : जीयर स्वामी

0
236

-परसथुआ में चल रहा यज्ञ, चौथे दिन प्रवचन सुनने पहुंचे हजारों श्रद्धालु
बक्सर खबर। जन्म लेते ही मनुष्य पर चार ऋण प्रभावी हो जाते हैं। मातृ ऋण, पितृ ऋण, ऋषि व देव ऋण। इनमें कोई मनुष्य अछूता नहीं है। चाहे व किसी भी संप्रदाय अथवा धर्म को मानने वाला हो। सबको इसका ध्यान रखना चाहिए। जब तक इस ऋण को आप अदा नहीं करते। देव ऋण धर्म कार्य करने से व प्रकृति का संरक्षण करने से, ऋषि ऋण संस्कार युक्त जीवन जीने तथा अपनी संतान को उसकी शिक्षा देने तथा पितृ ऋण स्वयं पिता अथवा माता बन जाने के उपरांत उतर जाता है।

लेकिन, परंपरा अनुसार अपने पूर्वजों का पिंडदान व सेवा करनी अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने वाले जीवन चक्र में अनेक परेशानियां झेलने को मजबूर हो जाते हैं। इसके लिए पिंडदान करना होता है। कुछ लोग इसका उपहास भी उड़ाते हैं। यहां का किया गया कार्य वहां पहुंचेगा। ऐसे सवाल लोग करते हैं। इसे आप आसान भाषा में समझ सकते हैं। आज आप घर बैठे किसी से फोन पर हजारों किलोमीटर दूर संवाद करते हैं।

स्वामी जी का उपदेश सुनने पहुंचे श्रद्धालु

आपकी बात, तस्वीर वहां कैसे पहुंचती है। उसी तरह आपको इसे भी समझना होगा। यह बातें सोमवार को पूज्य संत जीयर स्वामी जी महाराज ने अपनी कथा के दौरान परसथुआ में कहीं। जिससे सुनने के लिए प्रतिदिन लाखों की संख्या में सैकड़ों गांव के ग्रामीण पहुंच रहे हैं। इसके अलावे अन्य प्रदेश के लोग भी यहां डेरा जमाए बैठे हैं। इस वजह से आस-पास का पूरा क्षेत्र भक्तिमय बना हुआ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here