बक्सर थर्मल पावर : विकास की बड़ी परियोजना जो खा रही है बार-बार झटके

0
1154

– 2023 में ही चालू होने वाली थी एक इकाई, पता नहीं किसकी लग गई नजर
बक्सर खबर। लोग पूछते हैं, बक्सर के विकास के लिए अब तक क्या हुआ है। लेकिन, पिछले दस वर्षों के कार्य पर नजर डालते हैं तो बहुत सी बातें खुलकर सामने आती हैं। हमने तय किया है, पिछली सरकार के दस वर्षों के काम पर नजर डालेंगे। आज इसी कड़ी में चर्चा पहले दिन जिले के सबसे बड़े प्रोजेक्ट थर्मल पावर की चर्चा करेंगे। जब मार्च 2019 में बक्सर थर्मल पावर का शिलान्यास हुआ तो उम्मीद जगी थी। पूरे देश को बक्सर रोशन करेगा। बिहार की तीसरी सबसे बड़ी परियोजना पर काम शुरू हुआ। लोगों में इस काम को लेकर खुब चर्चा रही। अब बक्सर का विकास होगा।

लेकिन, दस हजार पांच सौ करोड़ की योजना तय समय से चालू नहीं हो सकी। वर्ष 2023 में ही इसकी एक इकाई चालू होने वाली थी। जो कई कारणों से उलझ गई। हालांकि केन्द्र सरकार ने इस बीच इसका विस्तार करने की अनुमति प्रदान कर दी। जब इसका शिलान्यास हुआ तो 660-660 मेगावाट के दो संयंत्र लगने थे। उसे बढ़ाकर 1980 मेगावाट कर दिया गया। अर्थात अब यहां दो नहीं तीन इकाइयां काम करेंगी। लेकिन, सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को समय-समय पर झटके लगते रहे। क्योंकि भूमि अधिग्रहण के आठ वर्ष बाद मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर कुछ लोग धरने पर बैठ गए। और इस वजह से दो-दो बार यहां भारी हंगामा हो चुका है। जिसके कारण यह कई बार सुर्खियों में रहा और काम बाधित होता रहा।

दस किलोमीटर के दायरे में रहते हैं दो लाख 57 हजार लोग
बक्सर खबर। बक्सर के चौसा में बन रहे थर्मल पावर के दस किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों की आबादी 2 लाख 57 हजार 103 है। यह बात एक सर्वे में सामने आई थी। जिसमें से 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले हैं। इसका सर्वेक्षण 2011 में हुआ था। 2013 में भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रारंभ हुआ। लेकिन, जब 2019 में शिलान्यास हुआ तो इस इलाके की भूमि का मूल्य आसमान छूने लगा। सरकारी दस्तावेज के अनुसार थर्मल के लिए कुल 620.43 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है। इसमें कुछ भूमि सरकारी भी है।

थर्मल चालू होता बदल जाती सुरत
बक्सर खबर। वैसे तो थर्मल की एक इकाई 2023 में ही चालू होनी थी। अगर ऐसा होता तो इसका प्रभाव चौसा और आस-पास के लोगों पर साफ दिखता। हालांकि आज जब काम प्रगति पर है। तो उसका प्रभाव जिला मुख्यालय से लेकर चौसा के आस-पास के गांवों पर दिखता है। बाहरी लोगों से पूरा बाजार भरा रहता है। व्यावसायिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं। जिसका लाभ किराए पर घर देने वालों से लेकर छोटे-छोटे दुकानदार भी उठा रहे हैं।

सबके लिए बना दुधारू गाय
बक्सर खबर। यह जानकार आपको बड़ा आश्चर्य होगा। यह प्रोजेक्ट बहुत से लोगों के लिए दुधारू गाय बन गया है। थर्मल का काम देख रही एसजेवीएन और एलएंडटी कंपनी से बहुत लोगों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष दोनों तरह से लाभ लिया। हालांकि इस कंपनी ने वेलफेयर के नाम पर कई परियोजनाओं को मदद की। आस-पास के विद्यालयों से लेकर सामाजिक सरोकार से जुड़े संगठनों व अस्पताल को भी लाभ मिला। लेकिन, कुछ नेता, अधिकारी व दबंग ऐसे भी हैं। जिन्होंने इसका अपने-अपने तरीके से दोहन किया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here