कैथी लिपि पर अनुसंधान करने बी एच यू के शोधार्थी पहुंचे संग्रहालय

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-सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में उपलब्ध हैं पुराने दस्तावेज
बक्सर खबर। बिहार की सांस्कृतिक विरासत कैथी लिपि पर अनुसंधान करने बी एच यू के शोधकर्ताओं का एक दल सीताराम उपाध्याय संग्रहालय बक्सर पहुंचा है। छात्रों ने कैथी पांडुलिपियों का अवलोकन किया। संग्रहालयाध्यक्ष डा शिव कुमार मिश्र ने शोधकर्ताओं को कैथी लिपि के इतिहास तथा इससे संबंधित पांडुलिपियों एवं शिलालेखों के विषय में जानकारी प्रदान की। डा मिश्र ने बताया कि शोधकर्ता प्रीतम कुमार कैथी लिपि पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पी-एच. डी कर रहे हैं। जबकि कमलेश कुमार उसी विश्वविद्यालय में अभिलेखों पर शोध कर रहे हैं।

डॉ मिश्र के अनुसार बिहार में करीब एक हजार वर्षो से कैथी लिपि के प्रमाण मिल रहे हैं। रामगढ़ के पास बैद्यनाथ शिव मंदिर में करीब एक हजार वर्ष पुरानी शिलालेख है जिसमें मगरधज जोगी 700 उत्कीर्ण है। इसी तरह मधेपुरा जिला के श्रीनगर तथा मधुबनी जिला के अंधराठाढ़ी में भी इस तरह के शिलालेख मिले हैं। डॉ मिश्र के अनुसार भागलपुर जिला के बटेश्वर शिव मंदिर के द्वार पर दो शिलालेख लगे हुए हैं लेकिन ये बाद के है।

28 बक्स 1पी, कैप्सन- कैथी लिपि का अवलोकन करते शोधकर्ता छात्र

बाद में मुगल काल में जमीन संबंधी दस्तावेजों को कैथी लिपि में लिखी गई जिसे वर्तमान समय में पढ़ने वालों को सर्वथा अभाव है। अमर शहीद बाबू वीर कुंवर सिंह के जमीन संबंधी दस्तावेज एवं डीड कैथी लिपि में ही लिखी गई थी। जमीन संबंधी पेशेवर यथा अमीन, राजस्व कर्मचारी, वकील, कातिब के अलावा न्यायाधीश आदि के लिए भी कैथी लिपि की जानकारी आवश्यक है। जमीन संबंधी मामलों के निपटारे हेतु इस लिपि का ज्ञान जरूरी है। इस अवसर पर अनिकेत कुमार, मोहम्मद आशिक, रामरुप ठाकुर,अभिषेक कुमार चौबे, अभिनंदन कुमार आदि अन्य संग्रहालय कर्मी मौजूद थे।

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