हिंदी न केवल भारत की राजभाषा है बल्कि एकता का प्रतीक भी : डीएम

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-गुड मॉर्निंग छोड़िए, सुप्रभात बोलिए, दीजिए अपनी भाषा को बढ़ावा
– समाहरणालय में हिंदी दिवस पर आयोजित हुई संगोष्ठी
बक्सर खबर। 14 सितंबर को हिंदी दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन समाहरणालय के सभागार में किया गया। जिसका शुभारंभ प्रबुद्ध जन व जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल, डीडीसी महेन्द्र पाल व अपर समाहर्ता कुमारी अनुपम सिंह ने किया। इस परिचर्चा में शहर के प्रबुद्ध जन को आमंत्रित किया गया था। चर्चा के दौरान जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने कहा कि हिंदी एक भाषा नहीं बल्कि भावों की अभिव्यक्ति है। यह न केवल भारत की राजभाषा है बल्कि कौमी एकता का प्रतीक भी है। हिंदी ने देश के सभी पंथ तथा समुदाय के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है।

आजादी के संघर्ष के दिनों से लेकर आज के डिजिटल युग तक देश के एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में विचारों, परंपराओं तथा संस्कृति का आदान-प्रदान हिंदी के माध्यम से ही हुआ है। अगर हम इस भाषा से दूरी बनाएंगे तो अपनी अस्मिता एवं पहचान को सही अर्थों में समझ नहीं पाएंगे। आज के युग में देश की युवा पीढ़ी हिंदी साहित्य से दूर होते जा रही है। ऐसे में उनका साहित्य से जोड़ना एवं उनमें समाहित जीवन के आदर्शों से अवगत कराना हम सब की जिम्मेदारी है।

गोष्ठी को संबोधित करते शिक्षक हरेराम पांडेय

समारोह में उपस्थित पदाधिकारियों ने भी हिंदी भाषा के महत्व पर अपने विचार साझा किया। राजभाषा विभाग, बिहार सरकार के स्तर से हिंदी में उन्नत लेखन को बढ़ावा देने हेतु संचिकाओं में उत्कृष्ट टिप्पणी लिखने वाले सरकारी कर्मी को सम्मानित करने का निर्णय लिया है, इससे पत्राचार की भाषा के स्तर में सुधार होगा। चर्चा के दौरान शिक्षक हरेराम पांडेय, रामेश्वर प्रसाद वर्मा अधिवक्ता, वशिष्ठ पांडेय, वर्षा पांडेय, विजय शंकर मिश्रा, डॉ शिवकुमार मिश्र, शिव बहादुर पांडेय प्रीतम, रामेश्वर प्रसाद मिश्र विहान, भरत प्रसाद, निर्मल कुमार सिंह निदेशक बक्सर पब्लिक स्कूल,

-हिन्दी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल साहित्यकार व शिक्षक

प्रदीप पाठक निदेशक हेरिटेज स्कूल, श्रीनिवास चतुर्वेदी, धनु लाल प्रेमातुर, विष्णु देव तिवारी, राजारमन पांडेय, प्रकाश पांडेय, प्रियरंजन आदि शामिल हुए। सभी वक्ताओं ने हिंदी के महत्व पर विशेष प्रकाश डाला। हिन्दी को कैसे बढ़ावा मिले। विषय पर चर्चा करते हुए यह प्रस्ताव आया कि लोक प्रचलन में आजकल लोग गुड मॉर्निंग बोलते हैं। इस प्रचलन को कमजोर करें और सुप्रभात बोलिए। तीन घंटे तक चले संगोष्ठी के समापन पर जिला प्रशासन साहित्यकारों को सम्मानित भी किया।

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