‌‌‌ गांवों में भी जीवित है रामलीला की परंपरा

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-खरहाटाड में पिछले 45 वर्ष से छात्र कला परिषद कर रहा आयोजन
बक्सर खबर। दुर्गा पूजा आते ही जगह-जगह रामलीला का आयोजन भी होता है। दो-तीन दशक पहले तक ऐसा अनेक गांवों में होता था। लेकिन, कुछ गांव अभी है ऐसे हैं। जहां यह परंपरा जीवित है। हम बात कर रहे हैं सिमरी प्रखंड के खरहाटाड गांव की। जहां 1979 में दुर्गा पूजा सांस्कृतिक छात्र कला परिषद का गठन हुआ था। जब से लेकर अब तक यहां प्रत्येक वर्ष रामलीला का आयोजन होता है। नवरात्रि प्रारंभ होते ही गांव के लोग इस आयोजन में जुट जाते हैं।

गुरुवार को इस रामलीला का विधिवत शुभारंभ हुआ। भगवान नारायण की आरती की गई। इसके उपरांत पितृ भक्त श्रवण कुमार की लीला का मंचन हुआ। इसके अलावे दूसरे दिन नारद मोह की कथा, इसके बाद धरती पर बढ़ते मेघनाथ व रावण का आतंक आदि का मंचन हुआ। इस रामलीला के निर्देशक मृत्युंजय ओझा, रमेश मिश्र, मेकप आर्टिस्ट चुनमुन ओझा, नारायण ठाकुर सहित कई लोग उपस्थित थे। समिति के अध्यक्ष संजय ओझा ने कहा कि इस गांव के सभी लोगों का स्नेह और सहयोग मिलता है। तभी यह परंपरा चली आ रही है।

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