एक ऐसा शख्स जो 100 लोगों के परिवार का है मददगार

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बक्सर खबर। सप्ताहिक कलाम इन से मिलिए के मेहमान हैं अखौरी पंकज सिन्हा। बक्सर गोलंबर से सटे चुरामन पुर गांव के यह मूलनिवासी है। चुरामन पुर एक ऐसा गांव है जहां के अखौरी जिले ही नहीं दुनिया में अपना नाम कमा चुके हैं। इसी परिवार के एक शख्स पंकज सिन्हा बक्सर में गजेंद्र ह्यूम पाइप नाम की फैक्ट्री चलाते हैं। हमारे लिए यह खास इस वजह से नहीं कि इनका स्वयं का कारखाना अथवा फैक्ट्री है। इनकी तरफ हमारा ध्यान इसलिए गया क्योंकि यह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने लगभग 100 लोगों को रोजगार दे रखा है।

वर्तमान दौर में रोजगार को लेकर जितनी माथापच्ची हर जगह हो रही है। ऐसे दौर में वैसे लोगों की तरफ हमारा मुखातिब होना लाजमी है। जो स्वयं के साथ दूसरों के परिवार का चूल्हा जलाने में मदद कर रहे हैं। औद्योगिक इलाके में इनकी तीन इकाई हैं। फिलहाल 2 में काम चल रहा है एक पर पुलिस का कब्जा है। पुलिस के कब्जे की हम बात बाद में करेंगे फिलहाल यह जान ले पंकज सिन्हा जिले के सबसे मशहूर सीमेंट पाइप के विक्रेता हैं। इनके यहां टाइल्स, ईट, सीमेंट से बनी कुर्सियां आदि बनती है।

फैक्ट्री में पड़े नाले

भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा प्रमाणित संस्थान है। इसलिए बक्सर से बने सामान की आपूर्ति के बिहार के मुजफ्फरपुर छपरा से लेकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ तक करते हैं। वे अपने काम से खुश है इसलिए नहीं कि उनका मुनाफा हो रहा है। उनकी माने तो सरकारी सहायता न मिलने से बहुत परेशानी है। यहां टैक्स भी बहुत ज्यादा है। इस वजह से हमेशा तंगहाली का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके चुरामनपुर, अर्जुनपुर, मझरियां, चिलहरी, कृतपुरा, नदांव, उत्तर प्रदेश के भरौली गांव के अनेक युवा इनके यहां काम करते हैं।

नाला बनाने वाली मशीन

पंकज सिन्हा से हमने जाना आपके आगे की योजना क्या है ?
बक्सर खबर। उन्होंने बताया फिलहाल हमारे दो कारखाने काम कर रहे हैं। जहां सीमेंट से जुड़े हर तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं। हमारी योजना है कि हम बक्सर में ऑटोमेटिक प्लांट लगाने की। जिससे उच्च गुणवत्ता के प्रोडक्ट तैयार हो सके। इसके लिए हम कई तरह के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन बैंकों से लोन नहीं मिल पाने के कारण कई दिक्कतें आ रही हैं। गजेंद्र आईटीआई के नाम से चुरामन पुर में एक टेक्निकल संस्थान है। उसे इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित करने की सोच भी पंकज रखते हैं। अगर उनका सपना साकार हुआ तो युवाओं को रोजगार भी मिलेगा और छात्रों को अपने शहर में अच्छी तालीम भी।

कैसे मिली रोजगार की प्रेरणा ?
बक्सर खबर। पंकज बताते हैं रोजगार की प्रेरणा उन्हें पिताजी से मिली। पहले बक्सर में उनका कोल्ड स्टोर, राइस मिल और पाइप बनाने की एक फैक्ट्री चलती थी। उनके पिताजी ने यह कारोबार 1976 में ही शुरू किया था। लेकिन बिहार में आलू की पैदावार कम हुई पहले कोल्ड स्टोर बंद हुआ। फिर धीरे-धीरे राइस मिल। बक्सर गोलंबर के पास चलने वाली इकलौती पाइप फैक्ट्री रह गई। 1990 में यह जिम्मेवारी पंकज की जिम्में आ पड़ी। आज पुरानी फैक्ट्री की जगह गार्डन ऑफ गॉड स्कूल चलता है। इंडस्ट्रियल इलाके में फिलहाल 2 फैक्ट्रियां चल रही हैं। जहां सीमेंट के नाले और दूसरी फैक्ट्री में ब्रिक्स, टाइल्स, रेलिंग, सीमेंट के दरवाजे एवं कुर्सियां बनाई जा रही है।
मां के आशीर्वाद से चल रहा है काम
बक्सर खबर। यहां मां शब्द का प्रयोग देवी देवताओं के लिए नहीं पंकज सिन्हा अपनी माताश्री शांति सिन्हा के लिए कर रहे हैं। उन्होंने बताया हम दो भाई हैं। बड़े भैया कोलकाता में इंजीनियर हैं। मैं छोटा हूं यहां मां के साथ रह गया। आज भी हर काम में उनका पूर्ण सहयोग मिलता है । मेरे नहीं रहने पर सारे काम का संचालन वही देखती और करती हैं। उनके पास अच्छा अनुभव है हर विकट परिस्थिति में वह सही निर्णय देती हैं। आज जो भी मुकाम हासिल हुआ है उसके पीछे उन्हीं का आशीर्वाद है।

चुरामनपुर का आई टी आई

सामाजिक कार्यों में रुचि रह चुके हैं रोटरी के अध्यक्ष
बक्सर खबर। पंकज सिन्हा की रूचि सामाजिक कार्य में भी है। वे प्रतिवर्ष सावन के महीने में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ धाम जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए रविवार की शाम है चुरामन पुर में शिविर का आयोजन करते हैं। जहां कांवरियों को पेयजल, चाय एवं दवाएं आदि वितरित की जाती है। यह कार्य प्रत्येक वर्ष होता है। रोटरी संगठन से जुड़े हुए हैं l वर्ष 2011 में बक्सर के अध्यक्ष भी रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बक्सर स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर रेलवे पार्क का निर्माण भी कराया था। वर्ष 2013 में बिहार झारखंड के असिस्टेंट गवर्नर भी रहे।
व्यक्तिगत परिचय
बक्सर खबर। जैसा कि हम पहले बता चुके हैं। पंकज बक्सर प्रखंड के चुरामनपुर गांव के रहने वाले हैं। इनका जन्म 1974 में हुआ था। मैट्रिक तक की शिक्षा बक्सर एमपी हाई स्कूल से हुई। कानून की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। फिलहाल पत्रकारिता की डिग्री हासिल करने के लिए नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय से डिप्लोमा कोर्स कर रहे हैं। शादी हो चुकी है पत्नी स्कूल का काम देखती हैं। घर में दो बच्चे हैं।

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  1. Mera naam AKHOURI NIRAJ KUMAR hai…Mai hi hu bada bhai….70% story jhuthi h… Jhutha mahima Mandan karne ka achchha prayas kiya gaya h….cold storage,Rice Mill ,Pipe Factory , ye sara kuchh bade pitaji (chacha) AKHOURI HARSHVARDHAN SINHA ka kiya hua tha…mere pitaji to matric pass bhi nhi the…mere pitaji ki saari jameene banks me girwi (mortgage) thi…pitaji ka 1999 me swargwaas ho gya. Uske baad maine banks se compromise karke Sara karz ka chukta Kiya jiske liye kuchh jameen bhi bechi…itna sab karne ke baad 1 acre jameen bacha saka jispar Aaj Gajendra ITI hai… Industrial area me jis plot me factory aur office hai usko allot karaane ke liye project report Jo ki cement pipe par hi tha usko maine apne haatho se likh kar taiyaar kiya tha aur vahi BIADA me jama Kiya gya tha lekin Pankaj Sinha ne apne naam allot karwa Liya….Jaha Aaj Garden of God school hai vaha bade chachaji ka banwaya hua Buxar Reinforced concrete hume pipe company hua karta tha jiske malik AKHOURI Dharmvardhan Sinha(chacha) the…2010 me ham dono bhai ke beech huye batwaare me mujhe sirf vo jameen mili jisme Aaj Gajendra ITI hai jo 2015 me khula…baki sab Pankaj Sinha ke hisse me gya ….Mai Aaj bhi apne hisse ki jameen Khali hone ka intezaar kar raha hu jispar Gajendra ITI khol rakha h…2010 me hua batwaara Ko bahoot ladayee jhagde ke baad 2019 me likhit roop diya ja saka…Lekin usme bhi ye likhwa Liya gya ki 2024 tak Pankaj Sinha mere hisse ki ekmatra jameen me 2024 tak Gajendra ITI chalayenge aur mujhe 60000/- pratimaah kiraya denge jisme se 10000/- pratimaah mujhe Mataji Ko unke jivan yapan ke liye dene hote hai….2024 me mai 54 saal ka ho jaunga…2010 me jab batwara hua tha tab mai 40 saal ka tha….Maine batwaare ko mante huye sabkuchh Pankaj Sinha ke liye chhor diya lekin mere saath Pankaj aur mataji ne dhokha kiya …na to batwara ko likhit hone diya aur na hi mere hisse ki jameen Ko chhoda….2019 me jakar batwara likhit hua lekin mai aur mera pura career barbaad ho gya ….ab 2024 tak ka intezaar kar rha hu jab Pankaj meri jameen Khali karenge aur Gajendra ITI hatayenge ….tab tak mai Road par hi hu….ek mataji ka jo kharcha nhi utha sakta aur vo bhi tab jab unke hi chalte saare jagah jameen aur business par Pankaj Sinha ka Raaj chal raha h….vo 100 aadmi ka parivaar chala rha h….hasyaspad lagta hai…20 employees hone par karmchari bhavishya Nidhi sanghatan me registered karane ka niyam h….sirf issi bindu pe jaach kar lena chahiye tha ye Mahima Mandit karne se pehle….vaise on record Gajendra ITI me mai bhi teacher hu….mere jaise aur bhi kayee farzi employees hai…

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