बक्सर खबर। जिले में कितने अस्पताल हैं जो सरकारी रुप से मान्यता प्राप्त हैं। यह जानने का प्रयास किया गया तो पता चला जिले के अधिकांश अस्पतालों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन ही नहीं किया है। अस्पतालों और जांच घरों द्वारा जो कुल आवेदन सिविल सर्जन कार्यालय को प्राप्त हुए हैं उनकी संख्या 49 हैं। इसका ब्योरा मांगने पर सिविल सर्जन कार्यालय ने जो सूची उपलब्ध कराई गयी है उनमें अधिकांशत: जांच घर ही हैं। अस्पताल के सूत्रों ने बताया वैसे हमारी नजर में जिले में कुल 94 अस्पताल हैं। जिनमें सरकारी भी शामिल हैं।
एक सदर अस्पताल, एक अनुमंडलीय अस्पताल, 11 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 28 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र। अन्य जो शेष हैं उनमें से अधिकांश ने अभी लाइसेंस के लिए आवेदन ही नहीं किया है। इस सिलसिले में बात करने के लिए सिविल सर्जन का पिछले दो दिन से प्रयास किया गया। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। गुरुवार को उनके कार्यालय में दस्तक दी गई लेकिन वे नहीं मिले। यहां यह सवाल उठता है कि क्या अन्य अस्पताल जो गैर मान्यता प्राप्त हैं वे फर्जी हैं। इसकी तस्दीक के दौरान पता चला इसके खिलाफ इंडियन मेडीकल एसोसिएशन ने न्यायालय में वाद दायर किया है। इस वजह से सरकारी मान्यता की प्रकिया अभी न्यायालय में विचाराधीन है।
क्या कहते हैं आइएमए के अध्यक्ष
बक्सर। निजी अस्पतालों को सरकारी मान्यता मिलने संबंधित पूछे गए प्रश्न के जवाब में आइएमए के अध्यक्ष डा. महेन्द्र प्रसाद ने कहा ऐसा नहीं कि निजी अस्पताल चलाने वाले लोग प्रशासनिक नियमानुसार रजिस्टे्रशन नहीं कराना चाहते। लेकिन, जो दिशा निर्देश सरकार ने इसके लिए जारी किए हैं वे बहुत ही जटिल हैं। उसमें कुछ नियम तो ऐसे हैं जो गैर प्रासंगिक हैं। इसके विरुद्ध आइएमए ने न्यायालय में अपील दायर की है। जिसके फैसले का हम सभी इंतजार कर रहे हैं। जटिलताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा अस्पताल में काम करने वाले एक्सरे आपरेटर, अल्ट्रासाउंड आपरेटर, नर्स आदि को सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थान से प्रशिक्षित होना अनिवार्य कर दिया गया है। इतनी संख्या में आपरेटर कहां से आएंगे। पहले से जो लोग अथवा कंपाउंडर काम कर रहे हैं उनका क्या होगा। इसके अलावा कई ऐसी बंदिशें हैं जो सामान्य रुप से अव्यवहारिक हैं। जिसको लेकर न्यायालय में सुनवायी चल रही है।