तीन दिनों तक चलता है मेला, इस वर्ष लगी है सबसे उंची बोली
बक्सर खबर। इटाढ़ी प्रखंड क्षेत्र की सीमा में एक ऐसा मंदिर है। जिसे सोखा धाम मंदिर कहा जाता है। हालांकि यहां के मंदिर में मुख्य विग्रह भगवान का शिव लिंग है। लेकिन, एक तरफ विरभ्रद की प्रतिमा है। जिन्हें लोग सोखा बाबा कहते हैं। हम अपने साप्ताहिक कालम ’यह भी जाने’ में इसकी चर्चा करेंगे। यहां की एक विशेषता यह भी है। यहां वर्ष में एक बार तीन दिनों का मेला लगता है। जिसमें लकड़ी के बने सामान बिकते हैं।
जैसे दरवाजे, चौकी, टेबल वगैरह। इसके आध्यात्कि महत्व हम आगे करेंगे। लेकिन, आपको यहां बता दें। जिला प्रशासन इससे अच्छा राजस्व वसूल लेता है। पिछले वर्ष यह मेला साढ़े चार लाख में नीलाम हुआ था। इस वर्ष सात लाख दस हजार रुपये की बोली लगी है। हालांकि यहां लगने वाला मेला अब धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जा रहा है। क्योंकि घरा में लकड़ी के दरवाजे कम लोहे के ज्याद जो लगने लगे हैं।
क्या है आध्यात्कि महत्व
बक्सर । इटाढ़ी प्रखंड के गांवों के लोग बताते हैं। वीरभ्रद यानी सोखा बाबा हमारे कुल देवता हैं। घर में उनका विग्रह बनाकर पूजा जाता है। इस लिए उनका मंदिर हर जगह नहीं दिखता। लेकिन, इनको लेकर लोगों में असीम श्रद्धा है। इनका मंदिर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दक्षिण इटाढ़ी प्रखंड अंतर्गत लोधास गांव के समीप कवड़ेसर में स्थित है। मंदिर की वजह से इस स्थान का नाम ही सोखा धाम हो गया है। हालांकि हम दावा नहीं करते। लेकिन, यह जिले ही नहीं शाहाबाद में सोखा बाबा का इकलौता मंदिर है।
मंदिर में किन-किन देवताओं की है प्रतिमा
बक्सर खबर। मंदिर में भगवान शिव के अलावा अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा है। लेकिन, इसे खास बनाती है वीरभ्रद की प्रतिमा। उपासना करने वालों का मानना है। वे अपने भक्तों की पीड़ा सोख लेते हैं। इस वजह से उनका ही सोखा बाबा हो गया। अब यह मंदिर उसी नाम से विख्यात है। पोराणिक मान्यता के अनुसार माता सती के पिता दक्ष ने भगवान शिव का अनादर किया था। इस वजह से मांता सती ने प्राण त्याग दिए। इसका कारण बने राजा ब्रह्मा पुत्र राजा दक्ष को वीरभ्रद ने ही मौत के घाट उतार दिया था। इसी स्थान पर प्रत्येक वर्ष तीन दिनों का मेला लगता है। यह भी जाने, बक्सर खबर का साप्ताहिक कालम है। जो प्रत्येक मंगलवार को प्रकाशित होता है। इसमें हम आपको देश और दुनिया समेत अपने जिले की रोचक व ज्ञान वर्द्धक जानकारी देते हैं)