बक्सर खबर। दुनिया के हर देश में नया साल मनाने की परंपरा रही है, लेकिन क्या आप जानते ही इस परंपरा की शुरूआत कब और कहां से हुई। शायद इसकी जानकारी बहुतों को नहीं होगी। चलिए हम बताते हैं। आज से लगभग 4,000 वर्ष पहले बेबीलोन में पहली बार नए साल का जश्न मनाया गया था। 1 जनवरी को मनाया जाने वाला नया वर्ष दरअसल, ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित है। इसकी शुरुआत रोमन कैलेंडर से हुई है।
पारंपरिक रोमन कैलेंडर का नया वर्ष 1 मार्च से शुरू होता है, लेकिन रोमन के प्रसिद्ध सम्राट जूलियस सीजर ने 46 वर्ष ईसा पूर्व में इस कैलेंडर में परिवर्तन किया था। उन्होंने जुलाई और अगस्त का महीना जोड़ दिया। दुनियाभर में तब से लेकर आज तक नया साल 1 जनवरी को मनाया जाता है। भारत में नया साल विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में नववर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी इसलिए इस दिन से नए साल का आरंभ भी होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को नया साल हिजरी शुरू होता है। पंजाब में नया साल बैशाखी के रूप में 13 अप्रैल को मनाया जाता है। सिख धर्म को मानने वाले इसे नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन मनाते हैं। जैन धर्म के लोग नववर्ष को दिवाली के अगले दिन मनाते हैं। यह भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन से शुरू होता है।
जश्न मनाने के अनोखे तरीके : विश्वभर में नया साल अनोखे ढंग से मनाया जाता है। इसे मनाने की हर देश की अपनी एक अलग परंपरा है जिसके पीछे कुछ प्रतीक भी हैं।
दक्षिण अमेरिका महाद्वीप : दक्षिणी अमेरिका के देशों में नए साल के दिन लोबिया के साबुत बीज और शलगम की पत्तियां खाने की प्रथा है। शलगम की पत्तियां रुपए का प्रतीक और लोबिया के बीज पैसों के प्रतीक माने जाते हैं।
स्पेन : स्पेन में नए वर्ष की रात को 12 बजे के बाद ताजे अंगूर खाने की परंपरा है। उनके अनुसार ऐसा करने से वे सालभर स्वस्थ रहते हैं।
चीन : चीन में 1 महीने पहले से ही नए साल की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग अपने घरों में साफ-सफाई कर रंग-रोगन करवाते हैं। यहां नए वर्ष पर लाल रंग को बहुत शुभ माना जाता है इसलिए लोग इस दिन लाल रंग की ड्रेस पहनते हैं।