बक्सर खबर। बक्सर उद्धार की भूमि है। यहां तीन संस्कृतियां विद्यमान हैं। दर्पण, अर्पण और घर्षण। इसकी विवेचना पिछले आठ दिन से मोरारी बापू बक्सर में कर रहे हैं। मानस अहल्या के विशेष प्रसंग का आज उन्होंने अनुश्रवण भी किया। बाजार समिति की कथा के उपरांत साढे़ चार बजे बापू केन्द्रीय जेल पहुंचे। वहां कैदियों के बीच प्रवचन किया। बक्सर के एतिहासिक केन्द्रीय जेल के परिसर में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक मोरारी बापू ने आज ऐसा कर इतिहास रच दिया। यह उनके जीवन का ऐतिहासिक पल नहीं था। उन बंदियों का था। जिनके बीच वे मौजूद थे। बापू ने कहा जेल प्रायश्चित की जगह है। यहां आकर मनुष्य अपने कर्मो को पश्चाताप की अग्नि में जलाता है। जिस तरह कपड़े को सूखाने के लिए धूप में डालना होता है। अथवा श्रेयकर होता है। उसी तरह मनुष्य अपने कर्मो को पश्चाताप की अग्नि में जलाकर शुद्ध हो जाता हैं।
यहां हम संयोग ही कहेंगे। बापू ने बाजार समिति परिसर में भी कथा के दौरान कुछ ऐसा ही कहा था। अगर आप भूल से कोई गलती करते हैं। अथवा आपसे कोई पाप हो जाए। तो आप अपनी भूल का प्रायश्चित कर सकते हैं। लेकिन, बार-बार भूल की पुनरावृति करना। गलत है, वही पाप है। जेल में प्रवचन के उपरांत उन्होंने कैदियों के हाथ का भोजन ग्रहण किया। धन्यवाद ज्ञापन के दौरान जेल अधीक्षक विजय अरोड़ा ने कहा। जिस तरह बक्सर में श्रीराम के चरण पड़ने से अहल्या का उद्धार हुआ था। आज आपके आगमन से जेल परिसर ही नहीं यहां बंद लोगों का भी उद्धार हुआ है। हम उम्मीद करते हैं। आपके प्रवचन के बहुत से लोगों के जीवन में बदलाव आएगा। कार्यक्रम के समापन पर पंचवटी के पौधे भी बापू ने वहां स्मृति स्वरुप लगाए।