बक्सर खबर। हमेशा चिंतन की मुद्रा में दिखने वाले बतकुच्चन गुरु चहकते हुए बीती रात मिले। उनकी खुशी का राज जानने की लालसा हुई। मेरे सामने पड़ते ही बोले। का गुरू कैसा लगा आपको इस बार विधानसभा चुनाव। हमने कहा मुझसे तो बेहतर आप ही बता सकते हैं। उन्होंने कहा हम तो बहुते खुश हैं। पांच राज्य में चुनाव हुआ रहा। कतही इ सरकारी पाटी वाले नहीं जीते। मैं उनकी बात सुन थोड़ा हैरान हुआ। क्योंकि आज से पहले कभी किसी पार्टी की बात उन्होंने नहीं की। जब बोलते हैं बखिया उधेड़ते हैं। चाहे कोई हो। मैंने पूछ लिया क्या आप दूसरी पार्टी की जीत से खुश हैं।
उन्होंने कहा ना गुरु। हमरा हार जीत से कवनो मतबल ना हौ। हम तो ए बदे खुश हैं बेचारी ईवीएमवा के इज्जत बच गवा। पिछले विधानसभा सभा चुनाव में सब नेतवा जौन हारे रहे। ईवीएम बेचारी के एतना गरियावें रहें कि हम परेशान हो गए रहे। उ निर्जीव मशीन के ससुरा सब मिल के फूल छाप नाम रख दिए रहे। इ बार चुनाव ने ओकर इज्जत बचा लिया। हम ऐ ही बदे खुश हैं। हमरी खुशी का एक अउर कारण हैं। इ बार लोग खूब नोटा का बटन दबाए हैं। एकर मतबल इ हुआ कि मशीनवा में छापा वाला के छोड के दूसर बटम भी ठिक से काम करे है। अगर जे ए चुनाव में सरकारी पाटी जीत गई होती। तो जौन हाल आज सीबीआई का हुआ हौ, वहीं हाल आयोग का हो जाता। सब मिल के कहते, उ तोता है इ बिल्ली।
हमशे ज्यादा खुश है पंजा पाटी वाला
बक्सर खबर। बतकुच्चन गुरु कहते कहते थोड़ी देर के लिए रुके। मुझे इशारे से पाश बुलाया। जैसे उनकी कोई दूसरा न सुन ले। बोले जाने हो गुरू इ चुनाव से बक्सर में भी पंजा पार्टी वाला बहुते खुश है। लगता है उ सब के लाटरी लग गया है। तीराहे-चौराहे पर पार्टी के नेतवा सब कह रहा है। अबकि लोक सभा में हमरे उम्मीदवार लड़ेगा। गठबंधन में यह सिट हमरी पार्टी को मिलेगा। हम बड़की पार्टी जो ठहरे। ए बार हम लोगों का रस्ता कवनो नहीं रोक सकता है। ई बात कह कह के सब एतना खुश है कि बस चले त काले चुनाव करा देवे। यह कहते हुए बतकुच्चन गुरु जोर-जोर से हंसने लगे। उनकी बातें सुन कर अच्छा लगा। चलो कोई तो है जो देश के सिस्टम पर भरोसा करता है। उनसे इजाजत ले मैं विदा हुआ।
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