बक्सर खबर। सन्यासी की तरह जीवन व्यतीत करने वाले महान संत बैजू बाबा ने आज अपना शरीर त्याग दिया। दियरा इलाके में रहने वाले संत बैजनाथ दास को लोग बैजू बाबा के नाम से ही जानते थे। 95 वर्ष की आयु पुरी कर चुके बाबा की काया बहुत कमजोर हो गई थी। कुछ दिन पहले उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं होने की स्थिति में आस-पास के श्रद्धालु मिलकर उन्हें पटना ले गए। जहां आज मंगलवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। सूत्रों ने बताया उनका आश्रम ब्रह्मपुर अंचल के नैनीजोर और आरा जिला के शाहपुर प्रखंड की सीमा पर स्थित है। जिसे लोग भीम पट्टी के नाम से जानते थे।
सात वर्ष की उम्र में सन्यास धारण करने वाले बैजू बाबा बहुत ही सरल स्वभाव के थे। उन्होंने दो मंदिर बनवाए। शिव और हनुमान जी का। वहीं पूजा करते थे और अपना पूरा जीवन व्यतीत कर दिया। 1998 में पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज उनके आश्रम आए थे। उन्हें वैष्णव संत की दीक्षा दी। यहां स्वामी जी कुछ वर्ष पहले भी आए थे। सात दिनों तक भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ किया था। लोग बताते हैं, कोई भी परेशान व्यक्ति अपनी व्यथा कहता तो उसका निदान वे कर देते थे। उनके दर्शन मात्र से लोगों के संकट टल जाते थे। इसके बदले लोग मंदिर में हरि कीर्तन कराते और प्रसाद बांटते। इसके अलावा वे किसी से कुछ नहीं लेते थे। पूरा जीवन एक झोपड़ी में गुजार दिया। उनका शरीर लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।