-पहले दिन की कथा के अंश, किया अहिल्या मंदिर का दर्शन
बक्सर खबर। सीताराम विवाह महोत्सव के पचासवें उत्सव में शामिल होने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक मोरारी बापू बक्सर पधारे हैं। 23 नवम्बर को वे प्रात: वामन मंदिर व अहिल्या मंदिर अहिरौली का दर्शन करने गए। इसके उपरांत सीताराम विवाह आश्रम नया बाजार पहुंचे। वहां उन्होंने श्रीमन नारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामा जी के दर्शन किए। फिर अपराह्न चार बजे कथा कहने बाजार समिति परिसर पहुंचे। उन्होंने पहले दिन की कथा में इस बात के संकेत दिए। इस वर्ष की कथा अहिल्या माता पर केंद्रित रहेगी। तीन घंटे की कथा के दौरान उन्होंने बक्सर, मामा जी और अहिल्या की चर्चा की। प्रस्तुत है उसके कुछ अंश:-
विशिष्ट आश्रम है बक्सर
बक्सर खबर। पूज्य बापू ने कथा प्रारंभ की तो सबसे पहले आश्रम की चर्चा की। तुलसी दास जी के रामचरतीस मानस का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा। विश्वामित्र महा मुनी ज्ञानी। ऐसा तुलसी दास जी ने लिखा है। यह शुभता का आश्रम है। इस क्षेत्र को विशेष महत्व है। इतना ही नहीं। यहां तीन संस्कृतियां विद्यमान हैं। भगवान राम सर्वप्रथम यहां चलकर आए। तो यहां अयोध्या की संस्कृति उनके साथ आई। जो दर्पण की संस्कृति है। यहां से चित्रकुट की संस्कृति जुड़ी है। जो अर्पण अर्थात समर्पण की संस्कृति है। साथ ही यहां से लंका की संस्कृति जुड़ी है। जिसे हम घर्षण की संस्कृति कहते हैं। अर्थात लड़ना-भीड़ना। यहां तीनों संस्कृतियों का मेल है। उन्होंने कहा तीन संस्कृतियों के संगम को मैं हमेशा मामा जी के सामने भी कहता था। लेकिन वे मना किया करते थे। वे आज होते तो शायद में यह नहीं कहता। लेकिन, यहां तीनों का संगम है।
देश के सभी तिर्थों को सेवा की जरुरत है
बक्सर खबर। वामन मंदिर और अहिल्या मंदिर के दर्शन के उपरांत कथा कहते हुए बापू ने कहा कि आज देश के सभी तिर्थों को सेवा की जरुरत है। आने वाली पिढ़ियों को एक समृद्ध संस्कृति मिले। इसकी जिम्मेवारी हम सभी की है। अहिल्या धाम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा वह तो ऐसा आश्रम है। जिसका उल्लेख रामायण के एक बार आया हैं लेकिन, वह अपने आप में विशिष्ट क्षेत्र है।
क्या है आश्रम
बक्सर खबर। बापू ने कहा आश्रम का क्या अर्थ होता है। मेरी समझ में जहां बगैर मांगे आशीर्वाद मिले। जहां आराम मिले। जहां आदम अर्थात ज्ञान व वेद मंत्र मिलें। जहां आरोग्य मिले। निराधार को आधार मिले। आनंद की प्राप्ति हो।