बक्सर खबर। हमारी टीम मुंशी जी के सामने नतमस्तक है। हम आपसे क्षमा प्रार्थी हैं। 31 जुलाई को हमें सुबह ध्यान आया था। लेकिन, रोजी-रोटी के चक्कर में हम आपको भूल गए। सोचा शाम में आकर लिख लेंगे। लेकिन हम तो समाज के परपंच में उलझे रहे। समय गुजरता रहा, शाम से रात हुई और अब सुबह हो चुकी है।
हमने सोचा क्षमा मांग लेते हैं धनपत राय श्रीवास्तव से। आप भी इनको जानते होंगे। साहित्य जगत आपको मुंशी प्रेमचंद के नाम से जानता है। 31 जुलाई 1880 को आपका जन्म हुआ। आप बहुत ही सहज और संवेदनशील कलमकार थे। जयंती पर आपको श्रद्धा निवेदित नहीं कर सके। इस लिए खेद के साथ आपको नमन।