‌‌‌डॉक्टर कलाम की राह पर बक्सर का बेटा आशीष भूषण

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-युवा वैज्ञानिक का इसरो में चयन, देश के लिए कुछ करने का है जज्बा
बक्सर खबर। अब बक्सर का नाम इसरो के मुख्यालय में भी गुजंगे। क्योंकि यहां के रहने वाले होनहार वैज्ञानिक, आशीष भूषण का चयन स्पेश साइंस ग्रुप ए में हो गया है। दो दिन पहले ही आशीष ने इसरो में योगदान किया। बेटे को वहां तक पहुंचाने के लिए मां किरण सिंह व पिता भारत भूषण सिंह भी पहुंचे थे। यह परिवार जिले के ब्रह्मपुर का रहने वाला है। गांव से इसरो तक का सफर आशीष ने कैसे तय किया। वह भी महज 22 वर्ष की उम्र में ? जब यह सवाल आशीष से हमने किया तो होनहार युवा ने बताया कि, यह तो किशोरा अवस्था में ही तय हो गया था। मुझे देश के लिए बेहतर करना है।

2008 में चन्द्रयान गया तो मेरी जिज्ञासा और बढ़ी। 2015 में मंगलयान गया तो मैंने तय किया एक दिन वहां पहुंचना है। जिससे देश के लिए कुछ किया जा सके। मेरा दाखिला पटना के लोयला स्कूल में हुआ था। वहां से पढ़ने के बाद पटना के सत्यम स्कूल से मैंने दसवीं-ग्यारहवीं की पढाई पूरी की और आईआईटी में चयन के लिए परीक्षा दी। मुझे बीएचयू में दाखिला मिल रहा था। लेकिन, मेरा ध्यान तो इसरो की तरफ था। उसी परीक्षा के आधार पर मेरा दाखिला भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी), केरल में हो गया।

22 में गेट निकाला और 23 में अपने लक्ष्य इसरो तक पहुंच गया। हमने आशीष से यह भी पूछा कि वे छात्र क्या करें जो वैज्ञानिक बनना चाहते हैं? आशीष ने कहा सबसे पहले तो युवाओं को अपना लक्ष्य तय करना चाहिए। तभी आप कुछ बेहतर कर सकते हैं। मेरी इच्छा थी मैं वैज्ञानिक बनू और मैंने वह रास्ता चुना। आज यहां पहुंच गया हूं। सबको यही करना चाहिए। अपनी मंजिल तय कीजिए और सफर शुरू। एक दिन तो पहुंचना ही है। सफलता का श्रेय आशीष अपने दादा मारकंडेय सिंह, मां, पिता और परिजनों को देते हैं। जो उनकी इस सफलता से सबसे ज्यादा खुश हैं।

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