-पंचकोशी परिक्रमा समिति के सदस्यों संग डीएम ने लिया जायजा
बक्सर । बक्सर का विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी मेला दो दिसंबर से प्रारंभ हो रहा है। इसे लोग लिट्टी चोखा मेला के नाम से भी जानते हैं। त्रेता युग में इस स्थान का नाम सिद्धाश्रम था। तब भगवान श्रीराम महर्षि विश्वामित्र के साथ यहां आए थे। उस समय पंच ऋषियों का यहां आश्रम था। वे सबसे मिलने गए और रात्रि में उनके यहां एक दिवसीय प्रवास किया। उसी का अनुकरण करते हुए बक्सर में आज भी पंचकोशी परिक्रमा होती है।
इस मेले में शामिल होने के लिए देश के अनेक राज्यों से लोग यहां आते हैं। सूचना के अनुसार दो दिसंबर को मेले का पहला पड़ाव अहिरौली में लगेगा। जहां माता अहिल्या का उद्धार हुआ था। दूसरे दिन नुआंव गांव में जहां नर्वदेश्वर महादेव स्थित हैं। यहां नारद मुनि का आश्रम हुआ करता था। तीसरे दिन भार्गव ऋषि के आश्रम पर, यह स्थान अब भभुअर गांव के नाम से जाना जाता है। चौथा पड़ाव उद्दालक ऋषि के आश्रम पर लगता है। यह गांव नुआंव के नाम से जाना जाता है। पांचवी और अंतिम पड़ाव सिद्धाश्रम के चरित्रवन में लगता है।
यहां श्रद्धालु लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इन सभी प्रमुख स्थलों का जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल, एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्रा व नप पदाधिकारी प्रेम स्वरुपम ने एक साथ निरीक्षण किया। साफ-सफाई और प्रकाश का इंतजाम करने का निर्देश जिलाधिकारी ने नप पदाधिकारी को दिए। साथ ही पंचकोसी परिक्रमा समिति के सचिव डॉक्टर रामनाथ ओझा, बसांव मठ के भोला बाबा, बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुबेदार पांडेय आदि से भी उन्होंने कहा कि आप लोग भी अपने स्तर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रयास करें।