बक्सर खबर (माउथ मीडिया) : चौसा नारियल, ब्रह्मपुर नारियल, सिमरी नारियल, चौगाई और चक्की भी नारियल। यह बुदबुदाते हुए बतकुच्चन गुरू चले जा रहे थे। मेरी नजर उनपर पड़ी। आवाज देकर रोका, कैसे हैं गुरू, बड़े दिनों से दिख नहीं रहे हैं। मेरी तरफ देखते ही वे मुस्कूराने लगे। लंबे अंतराल के बाद उनसे सामना हुआ था। सो मैंने उनसे पूछ लिया, कैसे हैं, कहां थे इतने दिनों से दिख नहीं रहे थे। वे बोल पड़े, अल्ला की नेमत है, सब खैरियत है। छठ घाट घूम के लौट रहे हैं। ए बार की पूजा में जौन है सो की नारियल खुब बटा है।
चौसा, ब्रह्मपुर और सिमरी में धूम रहा है नारियलवा का। मैंने पूछ लिया ऐसा क्या खास था इस बार की पूजा में। इतना कहते ही वे हंस पड़े। तोके ना पता हौ जिले में पंचायत चुनाव शुरू हौ। पांच प्रखंडन में मतदान होवे के हौ। जौने में नारियल चुनाव चिह्न हौ। ए ही बदे बीड़ी वाले जौन हैं उ खुबे बांटे हैं नारियल। लेकिन, कई मिला टीकुर गए हैं। बड़ महंगी आ गवा है। चालीस रुपया में नारियल मिले है। एन टाइम पर छठ आ गवा। खर्चा ससुरा दूना हो गवा है। सिमरी वाले तो बाप-बाप कर रहे हैं।
अंतिम टाइम में ओही सब के झेलना है। जौन बुड़बक चुनाव लड़े हैं। उनके सब दुहे पर उतार है। सबेरे दुआरे पर दस गो पहुंच जाता है। हमारा पेट में दरद है। मेहरारू छठ कइले है। कुछ मिला कहता है हमारा भइस बेमार है। प्रत्याशी सरवा माथा पकड़ लीन हैं। वोट के टाइम है, कवनो के दूर-दूर ना कह सकत हैन। नतीजा, केतने मिला पर कर्जा हो गवा है। इतना कह वे हंसने लगे और राम सलाम कहते विदा हो गए। उनके मुख से पंचायत चुनाव का सच जानकर मैं भी हैरान रह गया। क्या ऐसे हैं स्वच्छ राजनीति के बात करने वाले गांव के भोले-भाले लोग।
(नोट- माउथ मीडिया बक्सर खबर का साप्ताहिक व्यंग कालम है। जो प्रत्येक शुक्रवार को प्रकाशित होता है।)