च्यवन मुनि आश्रम में सनातन सम्मान समारोह का आयोजन बक्सर खबर। जिले के चौसा स्थित महादेवा घाट पर रविवार को च्यवन मुनि आश्रम में भव्य ‘सनातन सम्मान समारोह’ का आयोजन किया गया। महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे के आह्वान पर आयोजित इस समारोह का मुख्य उद्देश्य चौसा की प्राचीन धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करना था। इस अवसर पर वक्ताओं ने महर्षि च्यवन ऋषि और महादेवा घाट के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हुए इसे राष्ट्रीय पहचान दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया। हजारों वर्षों से ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही यह भूमि सनातन संस्कृति के गौरवशाली इतिहास की साक्षी है, जिसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने का संकल्प लिया गया।
सनातन संस्कृति की पुनर्स्थापना का संकल्प लेते हुए राजकुमार चौबे ने कहा कि “बक्सर केवल युद्ध भूमि नहीं, यह भगवान श्रीराम की शिक्षा स्थली भी है। जिस तरह अयोध्या में श्रीराम मंदिर और काशी में बाबा विश्वनाथ धाम का भव्य पुनर्निर्माण हुआ, उसी तरह अब मथुरा और बक्सर की बारी है। ‘अयोध्या, काशी तो झांकी है, मथुरा और बक्सर बाकी है’ यह केवल नारा नहीं, हमारा संकल्प है। महर्षि च्यवन ऋषि की पावन तपोभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होगा, जिससे सनातन संस्कृति की जड़ें और मजबूत होंगी। साथ ही, बक्सर में एक विशाल मंदिर और भगवान श्रीराम की भव्य मूर्ति की स्थापना की जाएगी, ताकि यह पवित्र भूमि अपनी खोई हुई पहचान पुनः प्राप्त कर सके। महर्षि विश्वामित्र फाउंडेशन इस महान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास करेगा और इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाएगा।”
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कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित अतिथियों में मुखिया पूनम ओझा, विजय शंकर पांडे, अभिषेक, शाहाबाद संयोजक रविराज, रंगनाथ त्रिवेदी, उत्तम पटेल, पूर्व मुखिया ब्रिज बिहारी सिंह, कथावाचक अमित उपाध्याय, पूर्व सरपंच रामाश्रय यादव सहित कई गणमान्य लोग शामिल रहे। कार्यक्रम का संचालन मोहित बाबा ने किया, जबकि राष्ट्रीय मीडिया कोऑर्डिनेटर अशोक उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इसके अलावा नितेश उपाध्याय, धनजी तिवारी, वीरेंद्र कश्यप, गोलू चौबे, जितेश उपाध्याय, रवीश जायसवाल, काजू मिश्रा, रजनीश उपाध्याय, श्री भगवान सिंह, विशाल चौधरी, सुजीत सिंह, सूर्य प्रकाश, अमित यादव, प्रभु प्रकाश सहित भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। इस भव्य आयोजन के माध्यम से चौसा की ऐतिहासिक एवं धार्मिक धरोहर को पुनर्जीवित करने और सनातन संस्कृति को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की गई। इस प्रकार के आयोजनों से निश्चित रूप से चौसा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व राष्ट्रीय पटल पर उभर कर आएगा।