बक्सर खबर। आर्ट ऑफ लिविंग केंद्र सह श्री श्री संस्कार केंद्र बक्सर ने नई पहल शुरू की है। संस्कार केंद्र द्वारा किशोर वय बच्चों को बेहतर कल के लिए अच्छी व ज्ञानपरक बातों की शिक्षा दी गई। आज रविवार को इसका समापन हुआ। विदित है कि इस संस्कार केंद्र में बच्चों को विभिन्न आसनों, दादी माँ के नुस्खे, विभिन्न आश्चर्य, श्लोक, शिक्षाप्रद कहानियों एवं खेल के माध्यम से संस्कार से सम्बंधित शिक्षा दी जाती है। सभी प्रतिभागी बच्चों ने सर्वप्रथम अभ्यास सत्र के दौरान सिखाये गए आसनों, दादी माँ के नुस्खे, श्लोक आदि का अभ्यास किया। अगले चरण में बच्चों ने अपने साथ लाये गए खाद्य सामग्री को भोजन मन्त्र के उच्चारण के पश्चात एक दूसरे को खिलाया और फिर स्वयं ग्रहण किया।
तत्पश्चात सदर अनुमंडल पदाधिकारी केo केo उपाध्याय ने सभी बच्चों के साथ बारी-बारी से बात की और उनके अनुभव सुने। बड़ों के पैर छूने का संस्कार हो या समकक्षों को गले लगाने की परंपरा, जो हमारे अंतर्मन को पुलकित कर ऊर्जा से भर देता है, आज के समय मे कहीं न कहीं क्षीण होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के संस्कार केंद्र में अधिक से अधिक बच्चों को आना चाहिए ताकि अपने विलुप्त होते हुए संस्कार को पुनर्जीवित किया जा सके और अपनी संस्कृति को बचाया जा सके। श्री उपाध्याय ने सभी बच्चों को बारी-बारी से संस्कार केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रमाणपत्र के साथ-साथ पुरस्कार स्वरूप आम के पौधे भी भेंट किए। बच्चों ने भी सामूहिक रूप से श्री उपाध्याय जी को आम का पौधा भेंट किया।
इन फलदार पौधों को आर्ट ऑफ लिविंग के एपेक्स मेंबर दीपक पाण्डेय ने आदिवासी वेलफेयर एसोसिएशन के सहयोग से उपलब्ध कराया। श्री पाण्डेय ने सभी प्रतिभागी बच्चों सहित उपस्थित उनके अभिभावकों और SDM बक्सर की सादर उपस्थिति के लिए धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बक्सर को पर्यावरण की दृष्टि से परिपूर्ण बनाने हेतु अत्यधिक संख्या में पौधरोपण करने व उनकी देखभाल करने की वकालत की। विदित है कि हाल ही में आर्ट ऑफ लिविंग के सौजन्य से बक्सर जिले में गंगा नदी के तटवर्ती क्षेत्र में 50हजार पौधे लगाए गए थे। उन्होंने इसकी देखभाल के लिए सुरक्षा प्रहरी रखने के लिए भी प्रशासन से आग्रह किया। संस्कार केंद्र के शिक्षक डॉo श्वेत प्रकाश व सहयोगी शिक्षक हेमदास जी ने सभी प्रतिभागी बच्चों को सिखाये गए विभिन्न .. का निरन्तर अभ्यास के प्रण के साथ विदा किया। प्रतिभागी बच्चों में आदित्य, अमृत, चैतन्य, शाश्वत, आराध्या, विधि, आयुष्मान, पलक, पलाश, आदर्श, हिमांशु अथर्वदेव, सुधांशु, रवि, हरिओम, अनुकृति व तृषा उपस्थित रहे। उनके अभिभावकों में धीरज कुमार, प्रवीण कुमार ओझा, राजेश कुमार सिंह, परशुराम वर्मा, सुनील कुमार प्रजापति आदि शामिल हुए।