बक्सर खबर । बक्सर का विसंगतियों से अपना नाता रहा है। कहने को तो महर्षि विश्वामित्र यहां भगवान राम को शिक्षा दिये है लेकिन आज न विश्वामित्र बचे हैं और न पढऩे वाले राम। हां, ताड़का का स्मृति चिन्ह जरूर हैं जो किसी की निजी हवेली का अब हिस्सा हो गया है। शहर नवमी का अनुष्ठान संपन्न कराने में व्यस्त है, रोज़ बिजली रहती थी लेकिन ऐन मौके पर बिजली गुल हो जाती हैं। चूंकि यह पर्व मध्यरात्रि का है लेकिन बिजली दाग दे गई, चुन्नीलाल लिखेंगे कि उल्लास पूर्वक मना नवमी, इसमे फलां अधिकारी और फलां चौकीदार रहे व्यस्त लेकिन किसी उत्सव का उत्स समझ ही नहीं पाते या लिख नहीं पाते?
ठीक वैसे ही रेडक्रास द्वारा जितना यूनिट खून नहीं बटोरा जाता उससे अधिक रेडक्रास के अधिकारियों का नाम बांटा जाता हैं। इस विकट आत्मश्लाघा के दौर में विषय और उद्देश्य गौड़ हो गए हैं। व्यक्ति विषय से बड़ा हो गया है, रोटरी और लायंस की खबरों का यही हाल है। आपराधिक घटनाओं में तो अपराध की विभीषिका कम और पुलिस अधिकारियों की चर्चा अधिक गोया कि अपराध की घटना किसी के नाम चमकाने का जरिया हो?
कमोवेश वही स्थिति अन्य खबरों के साथ भी होती है।
लेकिन सच्चाई तो यही है कि शिक्षा, स्वास्थ्य बिजली औऱ अन्य बुनियादी सुविधाओं का यहां रोना है। लेकिन, खबरें चकाचक रहती हैं क्योंकि चुन्नीलाल खबरची है। सदर अस्पताल या जिले में कोई महिला चिकित्सक काम का नहीं है। लेकिन, चुन्नीलाल अभी मंत्री जी के खबर से उबरे नहीं है। थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराने में लोग कितना पापड़ बेलते हैं। लेकिन, चुन्नीलाल थाना प्रभारी को अपने ग्रुप (व्हाट्सएप) में मेम्बर बनाकर कृतार्थ हो गए हैं। आपको कभी खून की जरूरत हो तो सच्चाई से सामना कर सकते है?
यही लगता है कि हमलोग विसंगतियों और विरोधाभासों में जीना सीख लिये हैं और चुन्नीलाल भी!
बक्सर का बहौत बौद्धिक विमर्श के साथ समाचार का विश्लेशषण किया है आपने श्रीमान चुन्नीलाल जी !
ऐसी ही पत्रकारिता करते रहिए ।
nice bhaiya ji apne jo kaha,bilkul sahi
jai sri ram
सच के साथ सबकी बात इस टैग लाइन को चरित्रार्थ करते हुए जो आपने लिखा है वो काबिले तारीफ है अविनाश जी एक सलाह है आपको की जिस तरह आपने रविवार को बक्सर के पत्रकार लोगों के लिए कॉलम शुरू किया है वैसे ही हमारे बक्सर की जो समस्या या जरुरत है इसपर भी एक कालम शुरू करें
हास्य के रूला दिया अापका सटीक टिप्पणी।