बक्सर : मुख्यमंत्री की विकास समीक्षा यात्रा ने बक्सर में नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। बारह जनवरी को नीतीश कुमार डुमरांव प्रखंड के नंदन गांव आए थे। गांव के भ्रमण के बाद वापस लौटते समय उनके काफिले पर ईट से हमला किया गया। घटना में दर्जनों गाडिय़ों के शीशे फूटे व कई पुलिस वालों के सर भी। तब कहा गया गांव के दलित मुहल्ले का एक वार्ड विकास से अछूता रहा। जिसके विरोध में ग्रामीणों का गुस्सा इस रुप में बाहर आया। हाई लेवल जांच कमेटी बनी।
पटना प्रमंडल के कमिश्नर आनंद किशोर व आई जी नैयर हसनैन खां को जांच दी गई। घटना के अगले ही दिन दोनों अधिकारी पहुंचे। गांव का जायजा लिया। इस दौरान डुमरांव एसडीओ के बयान पर प्राथमिकी दर्ज हुई। सौ से अधिक लोग नामजद हुए। 23 लोगों को पहले दिन जेल भेजा गया। इस घटना ने प्रदेश में विपक्ष को राजनीति का नया मौका दे दिया। सबसे पहले मधेपुरा सांसद रंजीत रंजन उर्फ पप्पू यादव नंदन पहुंचे। उन्होंने कहा यह घटना जलियां वाला बाग से बड़ी घटना है। मुख्यमंत्री के इशारे पर दलितों और यादवों को प्रताडि़त किया जा रहा है।
पप्पू यादव ने यह कह कर नया विवाद खड़ा कर दिया। घटना के पीछे स्थानीय जदयू विधायक ददन यादव का हाथ है। उन्होंने ने ही मुख्यमंत्री पर हमला करायाहै। राजनीतिक आरोप को कुछ मीडिया वालों ने भी हवा दी। विधायक लिए गए हिरासत में। पूछताछ जारी। लगभग एक सप्ताह तक यही मामला हर जगह छाया रहा। इस तरफ से ध्यान हटा तो सियासत के खेल में शुरू हुई जाति की राजनीति। महादलित को आगे कर राजद ने भी राजनीतिक पैतरा चला। पहले आठ विधायकों का दल पहुंचा। उसने कहा गांव का विकास नहीं हुआ। जो विरोध करने आए उनके पर उपर जुल्म ढाया गया। बीस जनवरी को राजद नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नंदन दौरा हुआ।
वे गांव में उन परिवारों से मिले। जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अथवा जिनके परिजनों का नाम पथराव की घटना में शामिल था। उन्होंने नीतीश कुमार को अक्षम मुख्यमंत्री करार देते हुए पूरी सरकार को दलितों का दुश्मन बताया। राजद इस घटना की न्यायिक जांच की मांग करता है। जितने भी लोग पकड़े गए हैं। वे बेकसूर हैं। उनको न्याय दिलाया जाएगा। इसका आश्वासन दे वे लौट गए।
वहीं दूसरी तरफ पुलिस व जिला प्रशासन के अधिकारी भी सहमे रहे। पता नहीं किस-किस पर जांच की गाज गिरे। पथराव की घटना में घायल डुमरांव के थानाध्यक्ष उसी समय हटा दिए गए। इस बीच शरद यादव का गुट भी नंदन पहुंचा। जिसमें पूर्व सांसद अर्जुन राय व पूर्व राज्य सांसद अली अनवर शामिल रहे। इन नेताओं ने इस घटना को महाराष्ट्र की दलित विरोधी घटना से बड़ा हादसा बताया। इन नेताओं ने लगातार एक सप्ताह तक दलित राजनीति को गोलबंद कर नीतीश को घेरने की पृष्ठ भूमि तैयार की। 31 जनवरी को जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव भी नंदन गांव पहुंचे। वे भी पीडि़त परिवार के लोगों से मिलने गए। आपको डरने की जरुरत नहीं। हम आपकी लड़ाई लड़ेंगे। किसी का नुकसान नहीं होगा। आपके हक की लड़ाई हम लड़ेंगे। गांव में महादलित पंचायत का आयोजन भी हुआ।
जहां शरद ने राज्य सरकार पर तमाम आरोप लगाए। बिहार में कानून व्यवस्था नहीं रही। सरकार हर मोर्चे पर फेल है। सात निश्चय योजना सिर्फ दिखावा है। जो सरकार एक गांव का विकास नहीं कर सकी। वह राज्य का विकास क्या करेगी। शराब बंदी राज्य में पूरी तरह फेल है। इसके खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है। शरद के इस कार्यक्रम में रमई राम, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह, राजद के ब्रह्मपुर विधायक शंभु यादव व तमाम नेता शामिल थे।
सभी सरकार को महादलित का दुश्मन बता रहे थे। डुमरांव की धरती से सरकार के खिलाफ एक जुट हो महासंग्राम का आगाज करने की बात कही गई। कल तो जो नंदन गांव मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर चर्चा में था। अब वह हमले के बाद सियासी पत्थर बाजी का केन्द्र बन गया है। नया दलित अत्याचार कार्ड यहां से खेला जा रहा है। जिसके कारण बक्सर पूरे प्रदेश में चर्चा का केन्द्र बना हुआ है।