कैमूर की विरासत पर संगोष्ठी: पुरातत्व और कैथी लिपि पर मिली नई जानकारी

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कैमूर में तीन जैन मठों झड़पा, मसही और तिवई के प्रमाण मिले                                                          बक्सर खबर। पीएम श्री स्कूल जवाहर नवोदय विद्यालय, चौरसिया, कैमूर एवं सीताराम उपाध्याय संग्रहालय, बक्सर के संयुक्त तत्वावधान में “कैमूर की कला एवं पुरातत्व” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कैमूर जिले के प्रख्यात इतिहासकार एवं पुरातत्वविद् डॉ. श्यामसुंदर तिवारी ने की। संगोष्ठी में छात्रों को कैमूर जिले की पुरातात्विक धरोहरों, शैल चित्रों एवं कैथी लिपि की महत्ता पर विस्तृत जानकारी दी गई।कार्यक्रम की शुरुआत नवोदय विद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रेम सुंदर तिवारी एवं शिवकुमार मिश्र द्वारा अध्यक्ष डॉ श्यामसुंदर तिवारी को पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित करने से हुई। इसके बाद सीताराम उपाध्याय संग्रहालय के अध्यक्ष शिवकुमार मिश्र एवं बीएचयू के शोध छात्र प्रीतम कुमार को भी सम्मानित किया गया।

संगोष्ठी में शिवकुमार मिश्र ने पीपीटी के माध्यम से छात्रों को कैमूर जिले की पुरातात्विक विरासतों से परिचित कराया। उन्होंने बताया कि कई पुरातत्व स्थल अनजाने में नष्ट हो रहे हैं, क्योंकि लोग उन पर जल चढ़ाने, रंग लगाने या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करने से उनकी क्षति कर रहे हैं। उन्होंने पुरातत्व संरक्षण के प्रति छात्रों को जागरूक किया। शोध छात्र प्रीतम कुमार ने कैथी लिपि पर अपना शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैमूर जिले में कई ऐतिहासिक दस्तावेज एवं खेत-खलिहान के कागजात कैथी लिपि में लिखे गए हैं। उन्होंने छात्रों को इस प्राचीन लिपि की जानकारी दी और इसके संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया।

अतिथि को सम्मानित करते डॉ शिवकुमार मिश्र व अन्य।

अध्यक्षीय भाषण में डॉ श्यामसुंदर तिवारी ने कैमूर जिले के शैल चित्रों, पुरातात्विक स्थलों और मूर्तिकला केंद्रों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैमूर की पहाड़ियां आदिमानव का निवास स्थल रही हैं, जहां गुफाओं में रहने वाले मनुष्यों ने चित्रकारी की थी। इन चित्रों से तत्कालीन समाज, संस्कृति, आर्थिक गतिविधियों और धार्मिक परंपराओं की जानकारी मिलती है। डॉ. तिवारी ने कैमूर जिले के प्रमुख मूर्तिकला केंद्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि बैजनाथ, दरौली, बटेश्वर, इंदौर गांव, जयपुर, मुंडेश्वरी, मदुरना, चैनपुर, मेड, धरहरा आदि स्थानों पर विभिन्न कालों में बनीं देवी-देवताओं की प्रतिमाएं मौजूद हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैमूर जिले में तीन जैन मठों झड़पा, मसही और तिवई के प्रमाण मिले हैं, जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। संगोष्ठी में विद्यालय के 500 से अधिक छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। साथ ही, क्षेत्र के कई सम्मानित नागरिक भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए, जिनमें बम्हौर के पूर्व मुखिया परमानंद तिवारी, राजवंश तिवारी, सचिन तिवारी एवं विद्यालय के पूर्व कला शिक्षक एचएस शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।इसके अतिरिक्त राकेश कुमार मेहता, केके मिश्रा, राघव राम मौर्य, एसके श्रीवास्तव, पीके उपाध्याय, एसके शुक्ला, कुमारी जया नंदिता सरकार एवं मंजू यादव, अनिकेत कुमार, मोहम्मद आशिक, अभिषेक चौबे समेत कई शिक्षकों और शोधार्थियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

 

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